किशोरी को बहला-फुसलाकर किया दुष्कर्म! अब सलाखों के पीछे कटेगी आरोपी की जिंदगी

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विशेष सत्र न्यायाधीश (पॉक्सो) अर्चना सागर की अदालत ने किशोरी का अपहरण कर दुष्कर्म के दोषी को 20 साल कठोर कारावास की सजा सुनाई है। साथ ही दोषी पर 10 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया गया है। पुलिस द्वारा दोषी को न्यायालय परिसर से हिरासत में लेकर जेल भेज दिया गया है।

गौर हो कि 20 जनवरी 2020 को पटेलनगर क्षेत्र निवासी एक महिला ने थाने में शिकायत दर्ज कराई थी की 19 जनवरी की रात उनकी 15 वर्षीय बेटी उनके साथ सो रही थी और सुबह गायब मिली। आसपास में देखा तो उसका कहीं पता नहीं चला। इसके बाद पता चला की उसे मोहब्बेवाला निवासी युवक अपने साथ ले गया है. वह काफी समय से युवक से बात कर रही थी। उस रात भी दोनों ने फोन पर बात की। कोतवाली पटेल नगर ने अपहरण का मुकदमा दर्ज कर आरोपी और किशोरी की तलाश शुरू की। 30 जनवरी को पता चला कि युवक किशोरी के साथ दिल्ली में रह रहा है। पुलिस किशोरी के परिजनों को साथ लेकर दिल्ली पहुंची और युवक को गिरफ्तार कर कब्जे से किशोरी को मुक्त कराया. पुलिस में इस मामले में पॉक्सो और दुष्कर्म की धाराओं में मुकदमा दर्ज कर आरोपी को न्यायालय में पेश कर न्यायालय के आदेश पर न्यायिक अभिरक्षा में जेल भेज दिया गया था।

इसके बाद नाबालिग ने पुलिस को बताया कि युवक से उसका प्रेम-प्रसंग है, इसलिए वह उसके साथ चली गई थी। जांच में पुलिस को पता चला कि 19 जनवरी को दोनों कार से हरिद्वार के लिए निकले थे, लेकिन दुर्घटना होने के कारण कार खराब हो गई। फिर उन्होंने टैक्सी बुलाई और 20 जनवरी की सुबह पांच बजे हरिद्वार पहुंचे व वहां रोडवेज बस अड्डे से बस में दिल्ली निकल गए। दिल्ली में उन्होंने किराये का कमरा लिया, वह 25 जनवरी तक वह वहीं रुके और 26 जनवरी को ट्रेन से गोवा के लिए निकले। रास्ते में नाबालिग की तबीयत खराब हो गई तो दोनों नासिक (महाराष्ट्र) में उतर गए। पुलिस के अनुसार वहां दोनों दो दिन होटल में रुके और 29 जनवरी को वापस दिल्ली आ गए। पुलिस को दिए बयान में पीड़िता ने बताया था कि होटल में युवक ने उसे गर्भ-निरोधक दवा दी थी। पुलिस ने जब पीड़िता के मजिस्ट्रेट के समक्ष बयान दर्ज कराए तो वह पुलिस को पहले दिए बयानों से मुकर गई और उसने दुष्कर्म की बात भी नकार दी। लेकिन जब पुलिस ने उसके कपड़ों को फोरेंसिक लैब में जांच के लिए भेजा तो उन पर आरोपी युवक का सीमेन मिला। सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता अल्पना थापा ने बताया कि पीड़िता ने चिकित्सीय परीक्षण में भी सहयोग नहीं किया। इसके बाद पीड़िता अदालत में भी दुष्कर्म के आरोपों से मुकर गई, लेकिन अभियोजन की ओर से कुल सात गवाह अदालत में पेश किए गए। जिसमें से महत्वपूर्ण डॉक्टर की गवाही और फोरेंसिक जांच रिपोर्ट के आधार पर अदालत ने आरोपी युवक को नाबालिग से दुष्कर्म का दोषी करार दिया और दोषी को 20 साल की कठोर कारावास की सजा सुनाई। साथ ही 10 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया गया।


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