देश और दुनिया की हर पुस्तकालय में असमिया साहित्य पहुंचे। असमिया साहित्य की खुशबू, हर ओर महके, साहित्यकारों की रचनाओं को लोग जानें, यहां की बेहतरीन साहित्य विधाओं में रची गई रचनाओं का लुत्फ बाहरी दुनिया के साहित्य प्रेमी उठा सकें, ऐसा प्रयास करीब 150 साल पुरानी असम साहित्य सभा कर रही है। यह बात असम साहित्य सभा के अध्यक्ष डॉ. कुलधर सैकिया ने डॉ. भूपेन हजारिका के 96वें जन्मदिवस के मौके पर कोलकाता स्थित असम भवन में आयोजित एक पत्रकार वार्ता में कही।
शाम को भूपेन हजारिका की याद में एक संगीतमय कार्यक्रम का भी आयोजन किया गया, जिसमें असम और बंगाल के कलाकारों ने हिस्सा लिया। इस अवसर पर चार किताबों का विमोचन भी किया गया। यह कार्यक्रम कलकता असमिया सांस्कृतिक संस्था के सहयोग से किया गया।
उन्होंने कहा, आज की दुनिया डिजिटल की दुनिया है, हमारा प्रयास है कि हम असमिया साहित्य के लुप्त प्राय: रचनाओं को डिजिटलाइज करने का प्रयास कर रहे हैं। इसके साथ ही अधिक से अधिक साहित्य का दूसरी भाषाओं में भी अनुवाद करवाने का प्रयास कर रहे हैं।
भारतरत्न डॉ.भूपेन हजारिका के 96वें जन्मदिवस के मौके पर आयोजित एक सांस्कृतिक कार्यक्रम में डॉ. सैकिया ने कहा, डॉ. हजारिका ने कोलकाता में बहुत समय गुजारा। यह उनकी कर्मभूमि रही है। गंगा के किनारे उनके संगीत से जो लहरें उठीं, वो आज भी दुनिया को अपनी ओर आकर्षित करती हैं। असम साहित्य सभा चाहती है कि बंगाल सरकार उनकी याद में कोलकता में एक भव्य मूर्ति बनाए और उनके नाम से कोई पथ भी हो।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए प्रसिद्ध बंगाली विद्वान डॉ. राम कुमार मुखोपाध्याय ने कहा, किस तरह से भूपेन दा ने उत्तर-पूर्व को एक सूत्र में बांधा। वे केवल गायक ही नहीं बल्कि बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी इंसान थे। खनिद्र पाठक ने कहा, उन्होंने अपने संगीत के माध्यम से मानवता का संचार किया। उन्होंने अपने संगीत में पूरी दुनिया को समेटा था।
असम साहित्य सभा के महासचिव जादव चंद्र शर्मा ने कहा, हम उस महामानव का जन्मदिन मना रहे हैं, जिन्होंने सांस्कृतिक एकता को बल प्रदान किया। उन्होंने पूर्वोत्तर की सांस्कृतिक विरासत को कहां से कहां पहुंचा दिया।
कलकता-असमिया सांस्कृतिक संस्था के अध्यक्ष दीपकानंद भराली ने कहा, यह एक गौरवान्वित करने वाला समय है, जब हम सब मिलकर भूपेन दा का जन्मदिन असम के बाहर मना रहे हैं। कार्यक्रम को अनुज गोगोई और अरिहणा ओझा ने भी संबोधित किया।
इसके बाद भूपेन दा को याद करके रंगारंग संगीतमय कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इसमें असम और पश्चिम बंगाल के कलाकारों ने समां को बांध दिया। कलाकारों तराली शर्मा, डली घोष, मिठुन धर, मंदिरा लाहड़ी, कश्मीर कटिकी, इंदुकल्प सैकिया और अन्य कलाकारों ने भूपेन दा को याद किया और उनको समर्पित गीत गाकर लोगों का मन मोहा।
इससे पहले शनिवार सुबह कलकत्ता यूनिवर्सिटी के कॉलेज स्ट्रीट कैंपस के आशुतोष बिल्डिंग में एक सेमिनार का आयोजन किया गया। रिट्रेशिंग लिट्रेरी जर्नी ऑफ असमिस ऑथर इन कलकत्ता (19 सेंचूरी) विषय पर आयोजित सेमिनार का उद्घाटन कलकत्ता यूनिवर्सिटी के आर्ट्स के डीन ऑफ फैकल्टी प्रो. एम.आर.भट्टाचार्य ने किया।
इस सेमिनार की अध्यक्षता करने वाले असम साहित्य सभा के अध्यक्ष डॉ. कुलधर सैकिया ने कहा, उस वक्त के असमिया साहित्यकार जो कलकत्ता में रहकर पढ़ते थे, साहित्य की सृजना करते थे, उनको याद करने और उनकी स्मृतियों को पुन: रेखांकित करने के मकसद से इस सेमिनार का आयोजन किया गया है। इस मौके पर कई शिक्षाविदों ने सेमिनार को संबोधित किया।