भाजपा ने राष्ट्रपति पद के लिए द्रौपदी मुर्मू दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र की आंतरिक मजबूती की खूबसूरत और अद्भुत कहानी हैं। पार्षद के रूप में राजनीतिक कॅरिअर शुरुआत करने वाली द्रौपदी का बतौर एसटी अनुसूचित जनजाति वर्ग से देश का पहला और बतौर महिला दूसरा राष्ट्रपति बनना तय है। ओडिशा के बेहद पिछड़े और संथाल बिरादरी से जुड़ी 64 वर्षीय द्रौपदी के जीवन का सफर बेहद संघर्ष से भरा है।
आपको बता दें कि द्रौपदी ने आर्थिक स्थितियां ठीक न होने के कारण महज स्तानक तक शिक्षा हासिल की। जिसके बाद शिक्षा में अपना कॅरिअर बनाया। इससे पहले द्रौपदी ओडिशा सरकार में अपनी सेवा दे चुकी है। बाद में राजनीति के लिए भाजपा को चुना और इसी पार्टी की हो कर रह गई। साल 1997 में पार्षद के रूप में उनके राजनीतिक कॅरिअर की शुरुआत हुई।
पति-दो बेटों की असामयिक मौत से भी नहीं टूटीं
मुर्मू का जीवन उनके जीवटता को दर्शाती है। जवानी में ही विधवा होने के अलावा दो बेटों की मौत से भी वह नहीं टूटीं। इस दौरान अपनी इकलौती बेटी इतिश्री सहित पूरे परिवार को हौसला देती रहीं। उनकी आंखें तब नम हुईं जब उन्हें झारखंड के राज्यपाल के रूप में शपथ दिलाई जा रही थी।