पश्चिम बंगाल के कोलकाता में कुम्हारों की कॉलोनी कुमारतुली की गलियों में तैयार की गई मां काली की पांच फुट लंबी फ़ाइबर से बनी प्रतिमा 17 मई से संग्रहालय की शोभा बढ़ाएगी। इस संग्रहालय में नारी शक्ति के कई चेहरों को उजागर करने वाली विश्वभर की प्रतिमाओं और कलाकृतियों की प्रदर्शनी लगाकर लोगों को इससे अवगत कराया जाएगा।
कारीगर कौशिक घोष ने बताया कि मूर्ति बनाने के लिए लंदन में एनआरआई बंगालियों की समिति कैमडेन दुर्गा पूजा समिति ने दिसम्बर में उनसे संपर्क किया। बताया कि उन्हें यह मूर्ति बनाने में करीब डेढ़ माह का समय लगा। उन्होंने 35 किलो वजनी मूर्ति बनाकर तैयार की है। घोष ने कहा कि इस पहल का हिस्सा बनकर वह बहुत खुश है।

ब्रिटिश संग्रहालय जल्द ही नारी शक्ति से जुड़े चेहरे दिखाने के लिए दुनियाभर से मूर्तियों, पवित्र वस्तुओं और कलाकृतियों के लिए प्रदर्शनी का आयोजन करने जा रही है। घोष ने बताया कि प्रदर्शनी की थीम को ध्यान में रखते हुए मूर्ति निर्माण में अच्छी गुणवत्ता का फाइबर और पेंट का इस्तेमाल किया। मूर्ति के आभूषण गोल्ड प्लेटेड हैं। मूर्ति को ब्रिटेन में मिश्र के देवता सेखमेट और ग्रीक की एथेना के साथ प्रदर्शित किया जाएगा।
ब्रिटिश संग्रहालय की वेबसाइट के अनुसार प्रदर्शनी के जरिये प्राचीन समय में महिला सशक्तीकरण को समझने का प्रयासा किया जाएगा।
वेबसाइट में कहा गया है कि ज्ञान, जुनून और इच्छा से लेकर युद्ध, न्याय और दया तक, दुनिया भर में महिला आध्यात्मिक शक्तियों की अभिव्यक्ति हमें इस पर चिंतन करने के लिए प्रेरित करती है कि वर्तमान में हम नारीत्व और लिंग पहचान को कैसे देखते हैं।