देश मे बेरोजगारी अपने चरम पर है वही इस बीच सरकार ने प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम (पीएमईजीपी) की अवधि को पांच साल के लिए बढ़ा दिया। जिसको बढ़ा कर 2025-26 कर दिया है। इस पर कुल 13,554.42 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। योजना की अवधि बढ़ने से रोजगार के 40 लाख अवसर बढ़ेंगे। जिसकी जानकारी सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उपक्रम (एमएसएमई) मंत्रालय ने दी है। इस योजना का लक्ष्य है कि युवाओं को गैर-कृषि क्षेत्रों में सूक्ष्म उद्योगों की स्थापना के जरिये रोजगार मुहैया कराया जाए।
मंत्रालय ने कहा कि अवधि बढ़ाने के साथ ही योजना में कुछ और बदलाव किए गए हैं। जिसमें विनिर्माण इकाइयों के लिए परियोजना की अधिकतम लागत को बढ़ाकर 50 लाख रुपये कर दिया गया है। अभी यह 25 लाख रुपये है। सेवा क्षेत्र की इकाइयों के लिए इसे 10 लाख रुपये से बढ़ाकर 20 लाख रुपये किया गया है।
उच्च दर से सब्सिडी का मिलेगा लाभ
योजना के तहत अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, ओबीसी, महिला, ट्रांसजेंडर, दिव्यांग जैसे विशेष श्रेणी के आवेदकों को लिए गए कर्ज पर उच्च दर से सब्सिडी मिलती है। इन्हें कुल कर्ज पर शहरी क्षेत्रों में परियोजना लागत की 25 फीसदी और ग्रामीण इलाकों में लागत की 35 फीसदी सब्सिडी मिलती है। सामान्य श्रेणी के आवेदकों के लिए यह सब्सिडी 15 फीसदी और 25 फीसदी है।
परिभाषा में भी किया बदलाव
बताया गया है कि योजना में ग्रामोद्योग और ग्रामीण क्षेत्र की परिभाषा में भी बदलाव किया गया है। पंचायती राज संस्थाओं के तहत आने वाले क्षेत्र अब ग्रामीण क्षेत्र माने जाएंगे। नगर निगमों के अंतर्गत आने वाले क्षेत्रों को शहरी क्षेत्र माना जाएगा। सभी क्रियान्वयन एजेंसियों को आवेदन लेने और प्रक्रिया आगे बढ़ाने की अनुमति होगी। चाहे आवेदन ग्रामीण क्षेत्र का हो या शहरी क्षेत्र का। इसके अलावा आकांक्षी जिलों और ट्रांसजेंडर आवेदकों को विशेष श्रेणी में रखा जाएगा। उन्हें पहले के मुकाबले अधिक सब्सिडी मिलेगी।
25 लाख रुपये तक का कर्ज
2008-09 में शुरू प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम के तहत सरकार रोजगार शुरू करने के लिए 10 से 25 लाख रुपये तक कर्ज देती है। इसके तहत अब तक करीब 7.8 लाख सूक्ष्म उद्योगों को मदद दी गई है। 64 लाख लोगों को सब्सिडी देने पर 19,995 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं। जिन उद्योगों को मदद दी गई है, उनमें 80 फीसदी ग्रामीण इलाकों में हैं।