देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शनिवार को गुजरात के पंचमहल जिले में प्रसिद्ध महाकाली मंदिर पर एक पारंपरिक झंडा फहराएंगे। इसके साथ ही प्रधानमंत्री मोदी के नाम सदियों बाद यह ध्वज फहराने के इतिहास से भी जुड़ जाएगा।
पावागढ़ पहाड़ी पर स्थित इस 11वीं शताब्दी के मंदिर के शिखर को लगभग 500 साल पहले सुल्तान महमूद बेगड़ा ने नष्ट कर दिया था। मंदिर के पुनर्विकास (रिडेवलपमेंट) के हिस्से के रूप में इसे अब बहाल कर दिया गया है।
प्रधानमंत्री शनिवार पुनर्विकसित महाकाली मंदिर का उद्घाटन करेंगे। मंदिर के ट्रस्टी अशोक पंड्या ने बताया कि वह नवनिर्मित शिखर पर पारंपरिक लाल झंडा फहराएंगे।
मंदिर, चंपानेर-पावागढ़ पुरातत्व पार्क के भीतर स्थित है। यह यूनेस्कों के विश्व धरोहर स्थलों में भी शामिल है और प्रतिवर्ष लाखों श्रद्धालुओं को आकर्षित करता है। ऐसा माना जाता है कि ऋषि विश्वामित्र ने पावागढ़ में देवी कालिका की मूर्ति को स्थापित किया था।
पंड्या ने बताया कि मंदिर के मूल शिखर को सुल्तान महमूद बेगड़ा ने 15वीं शताब्दी में चंपानेर पर आक्रमण के दौरान नष्ट कर दिया था। इसके तुरंत बाद मंदिर के शीर्ष पर एक मुस्लिम संत सदानशाह पीर की दरगाह बनाई गई।
लोककथाओं के मुताबिक, सदानशाह एक हिंदू सहदेव जोशी थे जिन्होंने बेगड़ा को खुश करने के लिए इस्लाम कबूल किया। यह भी माना जाता है कि सदनशाह ने मंदिर को पूर्ण विकास से बचाने में भूमिका निभाई थी।
पांड्या ने बताया कि पुनर्विकास में तलहटी से मंदिर की ओर जाने वाली सीढ़ियों को चौड़ा करना और आसपास के क्षेत्र का सौंदर्यीकरण शामिल था। इस पर लगभग 125 करोड़ रुपये खर्च हुए। इसमें मंदिर ट्रस्ट ने 15 करोड़ रुपये का योगदान दिया। उन्होंने बताया कि नया मंदिर परिसर तीन स्तरों पर बना है और तीस हजार वर्ग फुट में फैला है