देश में 4G के बाद अब पहली 5G कॉल भी हो चुकी है। संचार मंत्री अश्विनी वैष्णव ने 19 मई को IIT मद्रास में पहली 5G कॉल की। उन्होंने ऑडियो व वीडियो कॉल दोनों की है। 17 मई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत का पहला 5G टेस्टबेड लॉन्च किया था। इस दौरान प्रधानमंत्री ने इस दशक के अंत तक देश में 6G सेवाएं शुरू करने के लक्ष्य की भी बात की थी।
आपको बता दें कि 1G की शुरुआत 1970 में जापान में हुई। मोबाइल टेलीकम्युनेशन टेक्नोलॉजी की इस पहली पीढ़ी में सिर्फ वॉयस कॉल होती थी और इसमें आवाज की गुणवत्ता बहुत कम थी, कवरेज कम होने के साथ रोमिंग की कोई व्यवस्था नहीं थी। दो दशक तक इस टेक्नोलॉजी इस्तेमाल किया गया। जिसके बाद 1991 में 2G टेक्नोलॉजी की शुरुआत हुई। 1G एनलॉग सिस्टम पर काम करता था। वहीं, 2G पूरी तरह डिजिटल था। CDMA और GSM सिस्टम की शुरुआत इसी जनरेशन में हुई।
2G शुरू होने के बाद मोबाइल उपभोक्ताओं को रोमिंग की सुविधा भी मिलने लगी। हालांकि, उस दौर में रोमिंग की दर काफी ज्यादा होती थी। वॉयस कॉलिंग के साथ ही SMS और MMS जैसी डाटा सेवाएं भी शुरू हुईं। उस दौर में इसकी अधिकतम स्पीड 50 kbps होती थी। 2G के दौर में भी पूरा फोकस वॉयस कॉलिंग पर रहा। हालांकि, इसके साथ ही डाटा के इस्तेमाल की भी शुरुआत हुई।
जिसके बाद 2001 में 3G की शुरुआत हुई। भारत में इसे आने में काफी समय लगा। 2G के मुकाबले इसमें चार गुना ज्यादा इंटरनेट स्पीड मिलने का दावा किया गया। ये वो जनरेशन है जिसमें मोबाइल फोन से वीडियो कॉलिंग, वेब ब्राउजिंग, ईमेल, नेविगेशनल मैप और म्यूजिक जैसी सुविधाएं मिलनी शुरू हुई। इसी दौर में ब्लैकबेरी के फोन दुनिया के कई देशों में पॉपुलर हुए। दिसंबर 2008 में भारत में 3G को सपोर्ट करने वाले मोबाइल और डाटा सर्विस की शुरुआत हुई। जब सरकारी कंपनी एमटीएनएल ने दिल्ली में इसे शुरू किया। बाद में मुंबई में भी इसकी शुरुआत हुई। एमटीएनल भारत में 3G सेवा शुरू करने वाली पहली मोबाइल कंपनी थी। फरवरी 2009 में बीएसएनएल ने चेन्नई और कोलकाता में इसे शुरू किया। बाद में इसे पूरे देश में लॉन्च किया गया। सितंबर 2010 में सभी प्राइवेट मोबाइल सर्विस प्रोवाइडर्स को 3G स्पेक्ट्रम मिले।
वही 2010 में जब भारत में 3G की शुरुआत हो रही थी उसी दौर में दुनियाभर में 4G तकनीक का प्रवेश हो रहा था। हाई स्पीड, हाई क्वॉलिटी, हाई कैपसिटी वायस और डाटा सर्विस का वादा 4G में किया गया। 3G के मुकाबले इसमें करीब पांच से सात गुना ज्यादा स्पीड मिलती है। इसने हमारे फोन को ही एक हैंड-हेल्ड कम्प्यूटिंग डिवाइस की तरह बना दिया।
आपको बताते चलें कि भारत की बात करें तो 2012 में एयरटेल ने पहली बार 4G डाटा सर्विस लॉन्च की। दो साल बाद 2014 में एयरटेल ने एपल के साथ मिलकर पहली बार मोबाइल पर 4G सेवा की शुरुआत की। सितंबर 2016 में जियो के लॉन्च के बाद देश में तेजी से 4G का विस्तार हुआ। 2016 के अंत में महज 12 फीसदी डिवाइस 4G थीं। पांच साल बाद 2021 के अंत के ये आंकड़ा 77 फीसदी से भी ज्यादा पहुंच चुका है। मैट्रो सिटी में 2016 में जहां 22 फीसदी 4G फोन थे। जो अब बढ़कर 83 फीसदी हो चुके हैं।
4G में डाटा ट्रांसफर में कुछ समय लगता है। 4G में डाटा का ये ट्रांसफर अगर 50 मिलीसेकंड लेता है तो 5G में इसमें महज एक मिलीसेकंड लगेगा। दावा किया जा रहा है कि 5G को कम पावर की जरूरत पड़ेगी। ऐसे में फोन की बैटरी लाइफ भी कई गुना बढ़ जाएगी। डाउनलोड स्पीड बढ़ने के साथ ही सेलुलर बैंडविड्थ बढ़ेगी, स्पीड में इजाफा होगा और डेटा डिले भी बहुत कम हो जाएगा। सेल्फ-ड्राइविंग कार और रोबोटिक सर्जरी, स्मार्ट सिटी इन्फ्रास्ट्रक्चर में भी 5G की बड़ी भूमिका होगी।
जल्द ही भारत में लॉन्च होगा 5G
दक्षिण कोरिया, अमेरिका और कनाडा जैसे देशों में इसकी शुरुआत हो चुकी है। भारत में भी इसके जल्द शुरू होने की उम्मीद है। केंद्र सरकार इस साल के अंत तक 5G स्पेक्ट्रम की नीलामी कर सकती है। नीलामी के बाद साल के अंत तक या फिर अगले साल की शुरुआत में देश में 5G सेवाएं शुरू हो सकती हैं।