भारत-चीन सीमा विवाद पर हरीश रावत ने मोदी सरकार के रुख का किया समर्थन! साथ में कसा तंज

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भारत और चीन के बीच सीमा विवाद का हल बातचीत के जरिए नहीं होता हुआ दिख रहा है। भारत सरकार की तरफ से चीन को साफ कहा गया है कि वो पहले लद्दाख क्षेत्र में देपसांग और डेमचोक के भू-भाग को खाली करें तभी पीएम मोदी की चीन के राष्ट्राध्यक्ष से बातचीत संभव हैं। भारत सरकार के इस रुख की कांग्रेस ने जहां तारीफ की तो वहीं तंज भी कसा है।

चीन के मुद्दे पर एक बार फिर से कांग्रेस ने केंद्र की मोदी सरकार को घेरना शुरू कर दिया है। इस मामले को लेकर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने मोदी सरकार पर निशाना साधा है। हरीश रावत ने राहुल गांधी के बयान का जिक्र करते हुए मोदी सरकार को याद दिलाया कि, जिस विषय पर राहुल गांधी पहले ही चिंता जता चुके थे। उस पर केंद्र सरकार अब विचार कर रही है। दरअसल हरीश रावत ने ट्विटर पर लिखा कि ब्रिक्स देशों के दक्षिण अफ्रीका में होने वाले शीर्ष सम्मेलन से पहले भारत ने चीन को स्पष्ट शब्दों में बता दिया है कि उनको लद्दाख क्षेत्र में देपसांग और डेमचोक के भू-भाग को खाली करना पड़ेगा। कोर कमांडर लेवल की बातचीत में भी चीन को स्पष्ट मैसेज दे दिया गया है कि इसके बिना हमारे प्रधानमंत्री की चीन के राष्ट्राध्यक्ष से बातचीत संभव नहीं है। साफगोई में हम सरकार के साथ थे। वहीं हरीश रावत ने कहा कि वो जिज्ञासा के लिए इतना अवश्य जानना चाहते हैं कि आज से लगभग दो-ढाई साल पहले जब राहुल गांधी ने इस बात को कहा था कि चीन ने भारतीय सीमा के एक बड़े हिस्से पर कब्जा कर लिया है तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कहा था कि चीन के कब्जे में एक इंच जमीन भी भारत की नहीं है। भाजपा नेताओं ने राहुल गांधी के लिए बहुत बुरा-भला कहा था तो एक स्वाभाविक जिज्ञासा उठती है कि चीन ने भारत की एक भी इंच जमीन पर कब्जा नहीं किया है तो फिर ये देपसांग और डेमचोक क्षेत्र को खाली करने की बात कहां से उठ रही है।


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