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उत्तराखंड में आपदा से कईं लोग हताहत हुए हैं। इसी फेहरिस्त में शामिल हैं देहरादून के जाखन ग्राम पंचायत मदरसू के जाखन वासियों ने जो घर तिनका-तिनका जोड़कर बनाए थे वह उनकी आंखों के सामने ही भरभराकर ढह गए। ग्रामीणों को इतना भी वक्त नहीं मिल पाया कि सामान समेट पाते। जिंदगी जरूर बच गई लेकिन अपना कहने के लिए सिवाय आंसुओं के पास में कुछ नहीं बचा। ग्राम पंचायत मदरसू के जाखन वासियों ने जो घर तिनका-तिनका जोड़कर बनाए थे, वह उनकी आंखों के सामने ही भरभराकर ढह गए। ग्रामीणों को इतना भी वक्त नहीं मिल पाया कि सामान समेट पाते। जिंदगी जरूर बच गई, लेकिन अपना कहने के लिए सिवाय आंसुओं के पास में कुछ नहीं बचा।
जाखन में रामानंद, महंतराम, बाबू सिंह, महेंद्र, मनकीत, जीवन सिंह, रणवीर, जगत सिंह, बलवीर, चरण सिंह, हरक सिंह, खेम सिंह, कपिल आदि के मकान व गोशालाओं में बुधवार सुबह हल्की-फुल्की दरार नजर आ रही थीं, जो दोपहर बाद काफी चौड़ी हो गईं। इससे पहले कि वह घरों से सामान बाहर निकाल पाते, वह एक के बाद एक धराशायी होने लगे और पलभर में जीवनभर की सारी कमाई मलबे के ढेर में तब्दील हो गई। दरअसल तलहटी में बसे जाखन गांव के पास लांघा-मटोगी रोड पर भूस्खलन हो रहा है, जिससे मकानों में दरार पड़नी शुरू हुई और देखते ही देखते सब-कुछ मटियामेट हो गया। बिन्हार ग्राम विकास समिति मदरसू के अध्यक्ष डीएस पुंडीर ने बताया कि यह क्षेत्र पूरी तरह भूस्खलन से प्रभावित है। अतिवृष्टि के चलते दो दिन पहले भी भूस्खलन होने से लांघा-मटोगी मार्ग बंद हो गया था। बुधवार को मुख्य मार्ग की दरारें गांव तक पहुंच गईं। गनीमत रही कि मौसम साफ था, अन्यथा जान-माल का भारी नुकसान हो सकता था। उन्होंने प्रशासन से मांग की कि बिन्हार क्षेत्र का तुरंत सर्वे कराकर उसकी सुरक्षा के लिए तत्काल सुरक्षात्मक कदम उठाए जाएं। बताया कि रोड पर आए मलबे को जैसे-जैसे जेसीबी हटा रही है, वैसे वैसे ऊपर से फिर मलबा आ जा रहा है। सड़क से लेकर गांव तक, कहीं पर छह इंच तो कहीं पर एक फीट तक चौड़ी दरार आ गई हैं। सतर्कता से बची ग्रामीणों की जान जाखन में सुबह जब मकान व गोशालाओं पर दरार आने लगीं तो ग्रामीण सतर्क हो गए। हालांकि, उन्हें मकानों के इस तरह ढह जाने का अंदेशा नहीं था, लेकिन दरारों को चौड़ी होते देख वे गांव से दूर चले गए। इसी सतर्कता के चलते उनकी जान बच पाई।
व्यासी परियोजना में विद्युत उत्पादन ठप जाखन गांव में भूस्खलन के चलते 220 केवी विद्युत लाइन का टावर झुकने से 120 मेगावाट की व्यासी परियोजना में बिजली उत्पादन ठप हो गया है। पिटकुल की व्यासी परियोजना से दो लाइन निकलती हैं, एक लाइन में पहले से ही फाल्ट आया हुआ था। बुधवार को भूस्खलन से दूसरी लाइन का टावर भी झुक गया। प्रभावितों को जरूरी सुविधाएं देने के निर्देश जिलाधिकारी सोनिका ने अधिकारियों को प्रभावित परिवारों को आवश्यक सुविधाएं मुहैया कराने के निर्देश दिए हैं। अपर जिलाधिकारी वित्त एवं राजस्व रामजीशरण शर्मा, एसएसपी दलीप सिंह कुंवर समेत राजस्व व संबंधित रेखीय विभागों के अधिकारी मौके पर हैं। प्रभावितों को सुरक्षित स्थानों पर शिफ्ट किया जा रहा है। कालसी तहसील की बमटाड़ खत के खमरौली गांव में भी भूधंसाव की समस्या गहराती जा रही है। भूधंसाव के कारण मकानों के बीचों-बीच जमीन के खिसकने से दरारें चौड़ी होती जा रही है। इससे गांव में 50 परिवारों को खतरा बढ़ गया है।गांव में वर्ष 2013 में भूधंसाव की शुरुआत हुई थी। इस बरसात में मकानों की दरारें और चौड़ी हो गई है। 19 जुलाई की रात को हुई वर्षा के बाद करीब 25 मकानों के नीचे भूधंसाव हो गया। इससे उनके गिरने का खतरा बना हुआ है। सबसे ज्यादा खतरा राजकीय प्राथमिक विद्यालय भवन, पंचायती घर भवन को है। बताते हैं कि वर्ष 2007-2008 में प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के अंतर्गत पजिटीलानी से चिबोऊ खमरौली तक सड़क बनाने के दौरान जेसीबी मशीन से हुई पहाड़ की कटिंग से दरार आने की स्थिति पैदा हुई। इसके बाद खमरोली गांव के बीच में दरार आ गई है। 15 साल बीतने के बावजूद गांव में सुरक्षा कार्य नहीं हुए हैं।