‘मोदी उपनाम’ वाली टिप्पणी को लेकर बुरे फंस सकते है राहुल गांधी, गुजरात हाईकोर्ट ने अंतरिम राहत देने से किया इनकार

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अहमदाबाद. गुजरात उच्च न्यायालय ने मंगलवार को कांग्रेस नेता राहुल गांधी की उस याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया, जिसमें उन्होंने ‘मोदी उपनाम’ वाली टिप्पणी को लेकर आपराधिक मानहानि मामले में अपनी दोषसिद्धि पर रोक लगाने की मांग की है. न्यायमूर्ति हेमंत प्रच्छक ने सुनवाई के दौरान राहुल गांधी को कोई अंतरिम संरक्षण देने से भी इनकार कर दिया और कहा कि छुट्टी से आने के बाद फैसला सुनाया जाएगा.

इस मामले में सूरत की एक अदालत ने उन्हें दोषी ठहराते हुए दो साल जेल की सजा सुनाई थी, जिसके परिणामस्वरूप उन्हें लोकसभा की सदस्यता के अयोग्य ठहरा दिया गया था. न्यायमूर्ति हेमंत प्रच्छक ने शिकायतकर्ता पूर्णेश मोदी के वकील को सूरत की सत्र अदालत के आदेश के खिलाफ गांधी की आपराधिक पुनरीक्षण याचिका पर अतिरिक्त दस्तावेज जमा करने की अनुमति दी थी और मामले की सुनवाई के लिए दो मई की तारीख मुकर्रर की थी.

गौरतलब है कि सत्र अदालत ने भी दोषसिद्धि पर रोक लगाने की उनकी याचिका खारिज कर दी थी, जिसके खिलाफ गांधी ने उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है. बीते 26 अप्रैल को न्यायमूर्ति गीता गोपी के समक्ष मामले का विशेष उल्लेख किया गया था और त्वरित सुनवाई की मांग की गई थी, लेकिन उन्होंने सुनवाई से खुद को अलग कर लिया था. इसके बाद मामला न्यायमूर्ति प्रच्छक को सौंपा गया है.

उच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति हेमंत प्रच्छक ने 29 अप्रैल को सूरत की सत्र अदालत के 20 अप्रैल के आदेश के खिलाफ गांधी की पुनरीक्षण याचिका पर सुनवाई शुरू की, जिसने ‘सभी चोरों का उपनाम मोदी क्यों हैं’ वाली उनकी (गांधी की) टिप्पणी को लेकर आपराधिक मानहानि के लिए उनकी दोषसिद्धि पर रोक लगाने से इंकार कर दिया था. यदि राहुल गांधी की दोषसिद्धि पर अदालत रोक लगा देती है, तो यह लोकसभा सांसद के रूप में उनकी बहाली का मार्ग प्रशस्त करेगा.

गुजरात में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के विधायक पूर्णेश मोदी द्वारा दायर 2019 के मामले में सूरत की मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट अदालत ने 23 मार्च को कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धाराओं 499 और 500 (आपराधिक मानहानि) के तहत दोषी ठहराते हुए दो साल जेल की सजा सुनाई थी.

फैसले के बाद गांधी को जनप्रतिनिधित्व अधिनियम के प्रावधानों के तहत संसद की सदस्यता से अयोग्य घोषित कर दिया गया था. राहुल गांधी 2019 में केरल के वायनाड से लोकसभा के लिए निर्वाचित हुए थे. सूरत की सत्र अदालत ने कांग्रेस नेता को दोषी ठहराये जाने के फैसले पर रोक लगाने की उनकी अर्जी 20 अप्रैल को खारिज कर दी थी. राहुल गांधी इस मामले में फिलहाल जमानत पर हैं.
अहमदाबाद. गुजरात उच्च न्यायालय ने मंगलवार को कांग्रेस नेता राहुल गांधी की उस याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया, जिसमें उन्होंने ‘मोदी उपनाम’ वाली टिप्पणी को लेकर आपराधिक मानहानि मामले में अपनी दोषसिद्धि पर रोक लगाने की मांग की है. न्यायमूर्ति हेमंत प्रच्छक ने सुनवाई के दौरान राहुल गांधी को कोई अंतरिम संरक्षण देने से भी इनकार कर दिया और कहा कि छुट्टी से आने के बाद फैसला सुनाया जाएगा.

इस मामले में सूरत की एक अदालत ने उन्हें दोषी ठहराते हुए दो साल जेल की सजा सुनाई थी, जिसके परिणामस्वरूप उन्हें लोकसभा की सदस्यता के अयोग्य ठहरा दिया गया था. न्यायमूर्ति हेमंत प्रच्छक ने शिकायतकर्ता पूर्णेश मोदी के वकील को सूरत की सत्र अदालत के आदेश के खिलाफ गांधी की आपराधिक पुनरीक्षण याचिका पर अतिरिक्त दस्तावेज जमा करने की अनुमति दी थी और मामले की सुनवाई के लिए दो मई की तारीख मुकर्रर की थी.

गौरतलब है कि सत्र अदालत ने भी दोषसिद्धि पर रोक लगाने की उनकी याचिका खारिज कर दी थी, जिसके खिलाफ गांधी ने उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है. बीते 26 अप्रैल को न्यायमूर्ति गीता गोपी के समक्ष मामले का विशेष उल्लेख किया गया था और त्वरित सुनवाई की मांग की गई थी, लेकिन उन्होंने सुनवाई से खुद को अलग कर लिया था. इसके बाद मामला न्यायमूर्ति प्रच्छक को सौंपा गया है.

उच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति हेमंत प्रच्छक ने 29 अप्रैल को सूरत की सत्र अदालत के 20 अप्रैल के आदेश के खिलाफ गांधी की पुनरीक्षण याचिका पर सुनवाई शुरू की, जिसने ‘सभी चोरों का उपनाम मोदी क्यों हैं’ वाली उनकी (गांधी की) टिप्पणी को लेकर आपराधिक मानहानि के लिए उनकी दोषसिद्धि पर रोक लगाने से इंकार कर दिया था. यदि राहुल गांधी की दोषसिद्धि पर अदालत रोक लगा देती है, तो यह लोकसभा सांसद के रूप में उनकी बहाली का मार्ग प्रशस्त करेगा.

गुजरात में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के विधायक पूर्णेश मोदी द्वारा दायर 2019 के मामले में सूरत की मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट अदालत ने 23 मार्च को कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धाराओं 499 और 500 (आपराधिक मानहानि) के तहत दोषी ठहराते हुए दो साल जेल की सजा सुनाई थी.

फैसले के बाद गांधी को जनप्रतिनिधित्व अधिनियम के प्रावधानों के तहत संसद की सदस्यता से अयोग्य घोषित कर दिया गया था. राहुल गांधी 2019 में केरल के वायनाड से लोकसभा के लिए निर्वाचित हुए थे. सूरत की सत्र अदालत ने कांग्रेस नेता को दोषी ठहराये जाने के फैसले पर रोक लगाने की उनकी अर्जी 20 अप्रैल को खारिज कर दी थी. राहुल गांधी इस मामले में फिलहाल जमानत पर हैं.


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