बड़ी खबर : दस्तावेज़ लेखक और उप निबंधक कार्यालय संदेह के घेरे में, एसडीएम ने दिये जांच के आदेश

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बीजेपी सरकार होने के बावजूद प्रदेश में भू माफियाओं के हौंसले बुलंद है आज रुद्रपुर तहसील में अवैध तरीके से जमीन की खरीद फरोख्त सामने आ रही है । मामले के अनुसार रुद्रपुर निवासी अरविंद शर्मा ने उप निबंधक को एक शिकायती पत्र दिया है जिसमें उन्होने अनुसूचित जाति की महिला द्वारा बिना अनुमति लिए सामान्य जाति को जमीन बेचने का आरोप लगाया है और इस पूरे प्रकरण में जांच की मांग की गयी है ।

आज इस ख़बर के माध्यम से सभी को जानना जरूरी है कि किस तरह से उत्तराखंड का राजस्व विभाग अवैध तरीकों को अपनाकर भू-माफियाओं के साथ साँठ गांठ कर उत्तराखंड को दीमक की तरह खत्म कर रहे है बड़े घोटाले के तौर पर एनएच 74 घोटाला पूरे देश ने देखा । और अब ग्रामीण स्तर पर भी जहां आसानी से किसी की नजर नहीं जा पाती है वहाँ भी भ्रष्टाचार का खेल चल रहा है ।

जिला प्रशासन को दिए गए शिकायत पत्र के अनुसार अनुसूचित जाति की महिला मुन्नी देवी ने अटरिया मंदिर के पास की जमीन दूसरे समुदाय के सामान्य जाति के व्यक्ति अरसद खान को बेच दी । अनुसूचित जाति की महिला मुन्नी देवी दिनेशपुर की रहने वाली है खतौनी के अनुसार रुद्रपुर तहसील के अंतर्गत आने वाले गाँव जगतपुर में अटरिया मंदिर के पास महिला के नाम 0.1127 हेक्टेयरजमीन है जिसे अन्य समुदाय के व्यक्ति अरसद खान को बेच दिया गया है ।

17 मई 2022 को मुन्नी देवी पूरी जमीन का सौदा गांधी कालोनी रुद्रपुर के रहने वाले सामान्य जाति के अरसद खान के साथ कर देती है । जमीन की रजिस्ट्री के लिए जरूरी कागजात एडवोकेट अहसान दानिश तैयार करते है और दो गवाहों के बाकायदा हस्ताक्षर करवाते है । जिसके बाद रजिस्ट्री के लिए कागजात उप निबंधक कार्यालय में पहुँचते है जहां सभी दस्तवेजों की जांच होती है दस्तावेजों की प्रतिलिपि तैयार होती है, बेचने वाले,खरीदने वाले और गवाहों के फोटो लिए जाते है साथ ही साइन और थंब इंप्रेशन भी करवाए जाते है दस्तावेजों की प्रमाणिकता सब रजिस्ट्रार के सामने जाँची जाती है तब ही रजिस्ट्री पर उप निबंधक साइन करते है ।

वर्तमान नियम के अनुसार अनुसूचित जाति की महिला या पुरुष कोई भी बिना अनुमति के सामान्य जाति को कृषि भूमि नहीं बेच सकता लेकिन जमीन की खतौनी में महिला के नाम के आगे अनुसूचित जाति स्पष्ट लिखा हुआ है और खास बात ये है कि दस्तावेज़ में भूमि को कृषि भूमि दिखाया गया है और उसका प्रयोजन भी कृषि बताया गया है । भूमि को नगर निगम रुद्रपुर के अंतर्गत भी दिखाया गया है अब ऐसा कैसे संभव है कि कई विरोधाभासों के होते हुए जिस खतौनी को आधार बनाकर रजिस्ट्री की गयी उसमें अनुसूचित जाति पर किसी कि नजर नहीं पड़ी या फिर जो दस्तावेज़ रजिस्ट्री के लिए तैयार किए गए उन्हे ठीक से पढ़ा नहीं गया । गौर करने वाली बात ये भी है कि विक्रय पत्र जिसे एक वकील के द्वारा तैयार किया गया उसमें स्पष्ट बताया गया है कि जमीन बेचने वाली महिला अनुसूचित जाति की नहीं है बल्कि वो सामान्य जाति की है । जबकि सरकारी दस्तावेज़ के अनुसार महिला अनुसूचित जाति की है ।

रुद्रपुर उपनिबंधक कार्यालय पर लगातार फर्जी रजिस्ट्री करने के आरोप लगते रहे है बिना कागजों की जांच किए ये पहला मामला नहीं है इस तरह के पहले भी कई मामले उप निबंधक कार्यालय में आ चुके है अगर इस रजिस्ट्री पर गौर किया जाये तो पहला सवाल ये उठता है कि आंखिर महिला ने दूसरे समुदाय के व्यक्ति को दस्तावेजों में हेराफेरी करवाकर जमीन क्यों बेची ? और दस्तावेज़ लेखक से लेकर उपनिबंधक कार्यालय ने अवैध तरीके से जमीन की रजिस्ट्री क्यों कर दी ? क्या इसके पीछे कोई साजिश तो नहीं । हो सकता है लालच हो या ये भी हो सकता है कोई दबाव हो या सच में मुन्नी देवी को पैसों की किल्लत थी जिस वजह से उसने अपनी जमीन गैर कानूनी तरीके से विशेष समुदाय के व्यक्ति को बेच डाली ?

दूसरा सवाल उस वकील पर उठता है जिसने मुन्नी देवी की हकीकत जानते हुए अवैध दस्तावेज़ तैयार किए और जमीन की रजिस्ट्री करवाई । आंखिर ऐसी कौन सी वजह थी जिसके लिए एक वकील ने अपना पंजीकरण दांव पर लगाकर अनुसूचित जाति को सामान्य बता दिया ?

तीसरा सबसे अहम सवाल उप निबंधक कार्यालय पर उठता है । 17 मई 2022 को उप निबंधक कार्यालय रुद्रपुर में रजिस्ट्री की गयी थी। उप निबंधक कार्यालय में जहां रजिस्ट्री मैं लगा हुआ प्रत्येक कागज बड़ी बारीकी से जांच किया जाता है खासकर खतौनी की जांच होती है ताकि रजिस्ट्री में दर्शाया गया रकबा खतौनी में मौजूद है की नहीं ।

फिलहाल इस पूरे प्रकरण पर एसडीएम प्रत्युष सिंह ने जांच के आदेश दे दिये है और जांच की कार्यवाही तहसील को सौप दी गयी है । एसडीएम रुद्रपुर का कहना है इस पूरे प्रकरण की निष्पक्ष जांच कराई जा रही है जो भी तथ्य सामने आएंगे उस पर नियमानुसार कार्यवाही अमल में लायी जाएगी ।


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