बेलगाम शिक्षा व्यवस्था:शिक्षा मंदिर की जगह दुकान बने स्कूल,किताबों पर कमीशन का खेल जारी,आखिर अवैध स्कूलों के संचालन पर कब लगेगी रोक?

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रुद्रपुर I शिक्षा का उद्देश्य कल्याणकारी है जिसकी व्यवस्था की जिम्मेदारी राज्य सरकारों की है, शिक्षा को व्यवसाय बनाना बुरा नहीं है, लेकिन व्यापार बनाना बुरा है। क्योंकि तब लाभ कमाने की भावना जनकल्याण की भावना को निगल लेती है। शिक्षा मानवता के लिए है लेकिन हमने जो तरीका अपनाया है वह गलत है। कभी भी किसी लेख का उद्देश्य स्कूल और पेरेंट्स के संबंधों को बिगाड़ना नहीं होता। स्कूल वो जगह हैं जहां एक अभ‍िभावक अपनी औलाद या यूं कहें कि अपनी जीवन धुरी को पूरे व‍िश्वास के साथ भेजता है। विश्वास एक अच्छे व्यक्त‍ि के निर्माण का, जो स्वाभ‍िमानी हो,स्वावलंबी हो,नेक-ईमानदार हो और शोहरत हासिल करे। वहीं स्कूल के लिए भी ये बच्चे किसी जिम्मेदारी से कम नहीं होते। फिर भी आधुनिकता की ओर बढ़ते समाज में ये रिश्ते व्यक्त‍िगत से ज्यादा व्यवसाय‍िक होते नजर आ रहे हैं।

भले ही दुनिया भर मे फाइनेंशियल ईयर का एंड हो गया हो लेकिन अभी एक दुकान है जिसकों आप श्रद्धा से शिक्षा की मंंदिर कह सकते है लेकिन वास्तविकता तो ये है कि यह अब लूट की दुकान या व्यापारिक केन्द्र बनकर रह गया है। शिक्षा लेना बच्चों का अधिकार है और शिक्षा दिलवाना अभिभावकों का कर्तव्य। भले ही आपके सैलरी या कारोबार मे बढ़ावा न होता हो लेकिन इन स्कूल वालों का फिस हर साल बढ़ जाते है। इसके अलावा किताब कलम पैंसिल भी नया चाहिए क्योंकि हर साल इनका सैलेब्स बदल जाते है। तब में मन मे एक ख्याल आता है। जाने कहाँ गए वो दिए जब हम किताबों को अधिया दामों में खरीदा और बेचा करते थे। परिजन के हालत समझकर दूसरे से किताब मांगकर भी पास हो जाते थे। स्कूल मे कभी भी हमारे मां और पिताजी का इंटरब्यू नही होता था क्योंकि विधालय के शिक्षक ही हमारे परिजन के समान हमें स्नेह देते मारते पिटते फिर दुलार भी करते। बड़ा दुख होता है जब बच्चों के साथ पैरेंट मीटिंग में जाते है। माॅडल जमाने के शिक्षक शिक्षिका अपने नाकामी को हम पैरेंट के सिर मढ़ते हुए कहते है कि थोड़ा ध्यान दीजिए आपके बच्चे कमजोर है।

निजी विद्यालय संचालकों द्वारा इजाद किए जा रहे है नए-नए तरीके की शुल्क,अभिभावको को, टाई बेल्ट, बुक कॉपी जूते यूनिफॉर्म, दो गुने दामों पर बेच रहे निजी विद्यालय संचालक। अभिभावकों से शिक्षा के नाम पर की जा रही लूट। यू कह सकते हैं कि अब विद्यालय में सब कुछ बिकता हैं, अगर नहीं मिलता तो वह है गुणवत्तापूर्ण शिक्षा। अप्रैल का महीना अभिभावकों के लिए किसी बड़ी टेंशन से गुजरने से कम नहीं। इन्हे सताती है निजी स्कूल संचालकों द्वारा 10 तरह की शुल्क की बोझ की चिंता । निजी स्कूल संचालको द्धारा अभिभावकों के बच्चों को उज्जवल भविष्य के सपने दिन में दिखाकर अभिभावकों से मनमानी तरीके से भारी लूट का अंजाम दी जा रही हैं । यह वही लुटेरे हैं जो किसी हथियार के बल पर अभिभावको को नहीं लूटते, बल्कि बच्चों के उज्जवल भविष्य के सपने दिखाकर अभिभावकों को लूट रहे हैं। आए दिन विद्यालयों में डेवलपमेंट शुल्क, रीएडमिशन, ट्यूशन फीस, स्पेशल चार्ज ,एग्जाम शुल्क, जैसे शुल्क के नाम पर अभिभावकों से रुपए की भारी लूट की जा रही है।

कुछ ऐसा ही हाल जनपद ऊधम सिंह नगर और विशेषकर रुद्रपुर में प्राइवेट स्कूल अब विद्यालय नहीं लूट की दूकान बन गए है। जहाँ किताबें बिकती है,कपड़े बिकते है,जूते बिकते है,मोजे बिकते है,ट्यूशन के मास्टर बिकते हैं,कुछ स्कूलों में धर्म भी बिकता है,और सबसे अंत में शिक्षा बिकती है। और ये सारे सामान लागत मूल्य से दस गुने मूल्य पर बेचे जाते है। नए शिक्षण सत्र की शुरूआत होते ही निजी स्कूलों ने अभिभावकों की जेब काटनी शुरू कर दी है। शिक्षा विभाग के आदेश के बाद एनसीईआरटी की किताबों की जगह स्कूल प्रबंधन जबरन अभिभावकों पर निजी प्रकाशकों की किताबों को खरीदने का दबाव बना रहे हैं। स्कूलों का इससे भी पेट नहीं भर रहा है, वह मोटा मुनाफा कमाने के चक्कर में स्कूल से कापी-किताबें बेच रहे हैं। जो स्कूल किताबें नहीं बेच रहे हैं उन्होंने अपनी दुकानें निर्धारित कर दी है। उसी दुकान पर ही उस स्कूल का पाठयक्रम मिलेगा। स्कूल की कापी-किताब से लेकर यूनीफार्म, टाई, बेल्ट तक पर मोटा कमीशन स्कूल प्रबंधन ले रहे हैं। तो वही इस पूरे कमीशन के खेल में जीएसटी की चोरी से सरकार को भी तगड़ा नुकसान हो रहा है।

स्कूलों में इन दिनों नए सेशन के लिए एडमिशन प्रक्रिया चल रही है और अभिभावक एडमिशन से लेकर कॉपी-किताबें और ड्रेस का इंतजाम करने में जुटे हुए हैं। ऐसे में निजी विद्यालयों की मनमानी के चलते अभिभावकों को कई परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है, लेकिन शिक्षा महकमे की मेहरबानी के निजी विद्यालयों और बुक सेलरों के हौंसले बुलंद होते जा रहे हैं। दरअसल विद्यालयों द्वारा अभिभावकों को लिस्ट थमाकर सलेक्टेट दुकानों से ही किताबें लेने की बात कही जा रही है और किताबें भी इन्हीं बुक सेलरों के यहां मिलती हैं। दाखिला प्रक्रिया शुरू होने के साथ ही पाठ्यक्रम में निजी प्रकाशकों की पुस्तकों को स्कूलों द्वारा लगाई जा रही हैं। जबकि नियम के अनुसार एनसीईआरटी की पुस्तक लगाने की तरफ निजी स्कूलों का रुझान बहुत कम है। सूत्रों की मानें तो निजी प्रकाशकों की ये पुस्तकें कमीशन के खेल से जुड़ी हैं, जिसकी वजह से इनके दाम भी एनसीईआरटी पुस्तकों से कई गुना ज्यादा वसूले जा रहे हैं। वहीं निजी स्कूलों की मनमानी के आगे शिक्षा अधिकारी सिर्फ अभी तक कार्यवाही करने की बात कर रहे है

अप्रैल माह यानि अभिभावकों के लिए दिक्कतों का महीना। नए सत्र की शुरुआत के साथ ही अभिभावकों का संघर्ष शुरू हो जाता है। स्कूल की फीस, यूनिफॉर्म और कॉपी किताबों आदि अभिभावकों की जेब खाली कर रही है। वहीं स्कूलों के एकाधिकार के चलते संबंधित स्कूल द्वारा अधिकृत विक्रेता के पास ही सामान मिलने से अभिभावकों को 15-20 प्रतिशत तक मिलने वाली छूट भी नहीं मिल पा रही है। मजबूरी में उन्हें अधिकतम खुदरा मूल्य पर ही खरीदारी करनी पड़ रही है। पब्लिक हों या कॉन्वेंट स्कूल सभी की कितावों की कीमत अधिकतम खुदरा मूल्य ही अभिभावकों से वसूली जा रही है। बाजार में 40 रुपये एमआरपी पर 10 प्रतिशत डिस्काउंट पर मिलने वाली 36 रुपये की कॉपी के पुस्तक विक्रेता 80 रुपये वसूल रहे हैं। फिजिक्स, केमिस्ट्री और बायोलॉजी का खर्चा की प्रैक्टिकल कॉपी 100 रुपये में दी जा रही है। इनकी वास्तविक कीमत 60 रुपये से अधिक नहीं है। कक्षा 7 की कंप्यूटर की किताब की कीमत 500 के पार पहुंच गई है। कुछ प्रकाशकों की गणित की किताब भी 500 रुपये से ज्यादा में मिल रही हैं। मध्यम वर्गीय अभिभावकों का कहना है कि बच्चे पढ़ाना भी बेहद जरूरी है लेकिन इस महंगाई में घर के बजट का बंटाधार हो जाता है।

जानकारी के अनुसार ऊधम सिंह नगर के जिला मुख्यालय रुद्रपुर में कुछ मान्यता प्राप्त और गैर मान्यता प्राप्त विद्यालय की किताबें निर्धारित दुकानों पर ही उपलब्ध है जहां पर अभिभावक को लौट के साथ टैक्स और जीएसटी की भी जमकर चोरी की जा रही है। जिससे सरकार को भी जमकर चूना लग रहा है।

आईए जानते हैं किन विद्यालयों की किताबें किस निर्धारित दुकान पर आपको मिलेगी

सागर स्टेशनरी भगत सिंह चौक रुद्रपुर

1.जन्मभूमि इंटर कॉलेज
2.ब्रिलिएंट अकैडमी
3.बसंत राय विद्यापीठ जूनियर हाई स्कूल
4.न्यू वुडलैंड एकेडमी जूनियर हाई स्कूल
5.के.डी.आर.एम.पब्लिक स्कूल
6.आरडीएस पब्लिक स्कूल
7.ओमैगा नेशनल इंटरनेशनल
8.मदर सितारा पब्लिक स्कूल
9.नकुल एकेडमी
10.आशुतोष विद्या मंदिर
11.गोल्डन ड्रीम पब्लिक स्कूल
12 .ग्रीन वुड पब्लिक स्कूल
13.सन साइन जूनियर हाई स्कूल
14.नवज्योति जूनियर हाई स्कूल
15.मिल्टन पब्लिक स्कूल
16.गुरु दर्शन अकैडमी
17.सीएसएम पब्लिक स्कूल
18.आर.डी.एम.पब्लिक स्कूल
19.माइंड स्टोन पब्लिक स्कूल
20.वेद शक्ति पीठ पब्लिक स्कूल
21.किड्स केयर पब्लिक स्कूल
22.वैदिक ग्लोबल पब्लिक स्कूल
23.एसजीबी पब्लिक स्कूल
24.प्रतीक्षा भारती स्कूल
25.सुपर इंटर कॉलेज
26.रेडियंट पब्लिक स्कूल
27.किड्स केयर पब्लिक स्कूल
28.आरडीएम पब्लिक स्कूल
29.डिजायर पब्लिक स्कूल
30 .मदर सितारा पब्लिक स्कूल
31 .ग्रीन वैली पब्लिक स्कूल
32.सोनी मोंटसरी पब्लिक स्कूल
33.बी.डी.एस.पब्लिक स्कूल
34.बी.आर.एम पब्लिक स्कूल
35. इंडियन जूनियर हाई स्कूल

अंबे बुक्स एन्ड गारमेंट्स मैन ट्रांजिट कैम्प रोड विवेकनगर रुद्रपुर

1.एम.बी.आर.पब्लिक स्कूल
2.सॉफ्ट पेटल पब्लिक स्कूल
3.न्यू नेशनल पब्लिक स्कूल
5.स्वामी विवेकानंद पब्लिक स्कूल
7.न्यू संस्कार वैली पब्लिक स्कूल
8.लोटस पब्लिक स्कूल
9.के.आर.पब्लिक स्कूल
10 .डी.आर.एम.पब्लिक स्कूल
11.एम.बी.आर.पब्लिक स्कूल
12.आदर्श शिक्षा मंदिर स्कूल
13.यथार्थ पब्लिक स्कूल
14.आर.एन.पाल पब्लिक स्कूल
15.उदय भारती पब्लिक स्कूल
16.एम.बी.बी.एस.पब्लिक स्कूल
17.आर.बी.एस.पब्लिक स्कूल
18.शिशु संगम पब्लिक स्कूल
19.डी.आर. जूनियर हाई स्कूल
21.डी.आर.पैराडाइज पब्लिक स्कूल
22.मिशन पब्लिक स्कूल
23.नेताजी सुभाष पब्लिक स्कूल
24.गोल्डन ड्रीम पब्लिक स्कूल
25.स्मार्ट किड्स पब्लिक स्कूल
26.डायमंड पब्लिक स्कूल
27.न्यू ड्रोन नेशनल पब्लिक स्कूल
28.वेबलाइट पब्लिक स्कूल
29.अधिराज पब्लिक स्कूल
30.ग्रीन एस्पोर्ट पब्लिक स्कूल
31.आस्था जूनियर हाई स्कूल
32.जय हिंद पब्लिक स्कूल
33.आदर्श मंदिर

गोपाल पुस्तक भंडार श्याम टाकिज रोड रविंद्र नगर रुद्रपुर

1.गुरुकुल इंटर कॉलेज
2.जब होली मदर स्कूल
3.ओम पब्लिक स्कूल
4.विद्यासागर जूनियर हाई स्कूल
5.कृष्ण इंटर कॉलेज
6.सरस्वती शिशु मंदिर
7.एलाइट पब्लिक स्कूल

रुद्रपुर में शिक्षा का व्यापार: एक दो नहीं दर्जनों की सख्या में चल रहे अवैध स्कूल, शिक्षा विभाग अपनी कुम्भकरणीय नींद में मदमस्त

जनपद ऊधम सिंह नगर के रुद्रपुर और विशेषकर ट्रांजिट कैम्प में शिक्षा के विस्तारीकरण के नाम पर गैर सरकारी मान्यताप्राप्त “स्कूलों” की बाढ़ सी आ गयी है। कोई 32×32 में तो कोई 64×64 तो कोई किराये के कमरे में तो कोई अपने ही घर में स्कूल चला रहे हैं। जिस तरह झोला छाप डाक्टर फिजीशियन एण्ड सर्जन का बोर्ड लगाकर गली-गली दवाखाना चला रहे हैं। उसी तरह बिना मान्यता प्राप्त स्कूल भी गली-गली लम्बा चौड़ा मान्यता प्राप्त का बोर्ड लगाकर स्कूल रूपी दूकान चला रहे हैं। इन बिना मान्यता प्राप्त स्कूलों के बच्चों की वजह से शैक्षणिक घोटाले होते हैं क्योंकि इन बच्चों के नाम किसी न किसी सरकारी अथवा मान्यता प्राप्त स्कूलों में पंजीकृत कराये जाते हैं और वहीं से परीक्षा दिलवाकर सार्टिफिकेट भी दिलवा दिये जाते हैं। फर्जी दाखिले के नाम पर एक मोटी रकम वसूली जाती है और नकल की सुविधा उपलब्ध कराकर बढ़िया परीक्षाफल दिलवाया जाता है। इन अवैध स्कूलों की वजह से असली स्कूलों का वजूद ही खतरे में नहीं पड़ता जा रहा है बल्कि शिक्षा के स्तर में गिरावट आ रही है। शिक्षा के नाम दूकानें चलाकर शिक्षा को नीलाम करने का दौर पिछले कई बर्षों से यू ही चल रहा है। और सोया और लापरवाह शिक्षा विभाग अपनी कुम्भकरणीय नींद में मदमस्त है।

एक ही क्षेत्र (ट्रांजिट कैम्प) में चलने वाले गैर मान्यता प्राप्त अवैध स्कूल

1 डी.आर.जूनियर हाईस्कूल
2 वेब लाइट स्कूल
3 ग्रीन वैली पब्लिक स्कूल
4 न्यू संस्कार वैली पब्लिक स्कूल
5 लोट्स पब्लिक स्कूल
6 सोनी मोंटेसरी जूनियर हाईस्कूल
7 वी०डी०एस० पब्लिक स्कूल
8 के०आर०पब्लिक स्कूल
9 वी०आर०एम०पब्लिक स्कूल
10 देवभूमि पव्लिक स्कूल
11 आदर्श शिखा मॉडल स्कूल
12 भंडारी मेमोरिल स्कूल
13 यथार्थ पब्लिक स्कूल
14 डी.आर.सिंह मोंटेसरी स्कूल
15 मिशन पब्लिक स्कूल
16 शिशु संगम पब्लिक स्कूल
17 एम.बी.आर.पब्लिक स्कूल
18 फ्यूचर व्राइट पब्लिक स्कूल
19 डायमंड पब्लिक स्कूल
20 न्यू ड्रोन नेशनल पब्लिक स्कूल
21 सॉफ्ट पटेल पब्लिक स्कूल
22 अधिराज पब्लिक स्कूल
23 ग्रीन स्पॉट पब्लिक स्कूल
24 मदर सितारा एकदमी
25 आर.एन.पाल स्कूल
26 अम्बे पब्लिक स्कूल
27 एम.वी.वी.एस.स्कूल
28 माइंड स्टोन पब्लिक स्कूल
29 पैरा माऊट पब्लिक स्कूल
30 डिजायर पब्लिक स्कूल
31 सी०एस०एम पब्लिक स्कूल
32 श्रीराम पब्लिक स्कूल
33 किड्स केयर पब्लिक स्कूल
34 आई.एस.पब्लिक स्कूल
35 गोल्डन ड्रीम पब्लिक स्कूल
36 एयरवेंट पब्लिक स्कूल
37 इन्फिनिटी पब्लिक स्कूल
38 मॉडल पब्लिक स्कूल

शिक्षा के मंदिर में एक और गजब का खेला! मान्यता हाईस्कूल की और पढ़ाई 12वीं तक,अवैध स्कूलों को दिया संरक्षण

विद्यालय को शिक्षा का मंदिर कहा जाता है और वहां पढ़ाने वाले शिक्षकों को भाग्य विधाता, लेकिन जब शिक्षा के मंदिर पर ही प्रश्न उठने शुरु हो जाएं तो आप अंदाजा लगा सकते हैं की बच्चों का भविष्य किस तरफ़ जा रहा है। मामला जिला मुख्यालय रुद्रपुर का है। रुद्रपुर में अवैध स्कूलों का बड़ा खेल सामने आया है। बता दें कि रुद्रपुर में बड़ी तेजी से शिक्षा माफिया और अवैध स्कूल पांव पसार रहे हैं। अवैध रूप से स्कूलों का संचालन कर माफियाओं द्वारा मोटी कमाई की जा रही है। एक नहीं कई दर्जनों स्कूल जिला मुख्यालय रुद्रपुर में बिना किसी मान्यता के चल रहे हैं। न इनमें मानक पूरे हैं और न ही मान्यता। एक तरफ जहां कमाई के लिए विद्यार्थियों के भविष्य से खिलवाड़ किया जा रहा है तो वहीं अवैध स्कूलों के बड़े खेल का खुलास हुआ है। जानकारी के अनुसार रुद्रपुर के ट्रांजिट कैम्प में एक मान्यता प्राप्त स्कूल से अटैच करवाकर कई अवैध स्कूल संचालक शिक्षा का व्यापार कर रहे है। सूत्रों की मानें तो हाल ही में उत्तराखंड सरकार से हाईस्कूल की मान्यता मिलने के बाद रुद्रपुर ट्रांजिट कैम्प के एक विद्यालय ने पहले तो अपने यहां इंटर तक की पढ़ाई शुरू करवा दी। फिर आसपास चलने वाले कई गैर मान्यता प्राप्त विद्यालयों को अपने संरक्षण में अवैध स्कूल चलाने की अनुमति दे डाली। हाईस्कूल की मान्यता लेने वाला यह विद्यालय जहां एक ओर अपने विद्यालय में एक स्कूल की मान्यता होने के बाद एक और अन्य अंग्रेजी माध्यम के विद्यालय का संचालन कर रहा है। तो क्षेत्र में कई आठवीं की मान्यता प्राप्त विद्यालयों को अपने यहां से अटैच कर संचालित करवा रहा है।

मान्यता जूनियर की आठवीं और चल रहा है हाईस्कूल और इंटर

जन्मभूमि इंटर कॉलेज-हाईस्कूल की मान्यता-चल रहा है इंटर तक
ब्रिलिएंट अकैडमी
बसंत राय विद्यापीठ जूनियर हाई स्कूल
न्यू वुडलैंड एकेडमी जूनियर हाई स्कूल
इंडियन जूनियर हाईस्कूल
स्वामी विवेकानंद पब्लिक स्कूल
न्यू नेशनल पब्लिक स्कूल
आस्था जूनियर हाई स्कूल
जय हिंद पब्लिक स्कूल
जब होली मदर स्कूल
ओम पब्लिक स्कूल


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