डॉ. भीमराव अम्बेडकर की पुण्यतिथि, क्यों मनाया जाता है महापरिनिर्वाण दिवस के रूप में

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नैनीताल ::- 6 दिसंबर डॉ.भीमराव अम्बेडकर की पुण्यतिथि है। 6 दिसंबर 1956 को महान सपूत ने अंतिम सांस ली थी। उन्हें बाबासाहेब आंबेडर के नाम से भी जाना जाता है। डॉ.आंबेडकर की याद में उनकी पुण्यतिथि महापरिनिर्वाण दिवस के रूप में मनाई जाती है।

डॉ. भीमराव अम्बेडकर का पूरा जीवन देश सेवा को समर्पित था। उन्होंने अपना पूरा जीवन दलित वर्ग को समाज में समानता दिलाने के लिए संघर्ष में लगा दिया। उनके विचारों ने लाखों लोगों को प्रेरित किया। उनका कहना था कि शिक्षित बनो, संगठित रहो और संघर्ष करो। यह स्वतंत्रता हमें अपनी सामाजिक व्यवस्था को सुधारने के लिए मिली है। भारत के 80 फीसदी दलित सामाजिक व आर्थिक तौर से अभिशप्त थे, उन्हें अभिशाप से मुक्ति दिलाना ही डॉ.अंबेडकर का जीवन संकल्प था।

14 अप्रैल को उनका जन्म दिवस आम्बेडकर जयन्ती के तौर पर भारत समेत दुनिया भर में मनाया जाता है। डॉ. अम्बेडकर की विरासत में लोकप्रिय संस्कृति में कई स्मारक शामिल हैं।

अम्बेडकर एक सफल पत्रकार एवं प्रभावी सम्पादक थे। अखबारों के माध्यम से समाज में उन्नती होंगी उन्हें विश्वास था। वह आन्दोलन में अखबार को बेहद महत्वपूर्ण मानते थे। डॉ. अम्बेडकर ने शोषित,दलित समाज में जागृति लाने के लिए कई पत्र और 5 पत्रिकाओं का प्रकाशन एवं सम्पादन किया। उन्होंने कहा हैं कि किसी भी आन्दोलन को सफल बनाने के लिए अखबार की आवश्यकता होती हैं, अगर आन्दोलन का कोई अखबार नहीं है तो उस आन्दोलन की हालत पंख टूटे हुए पंछी की तरह होती हैं।

डॉ.आम्बेडकर ही दलित पत्रकारिता के आधार स्तम्भ हैं डॉ॰.आम्बेडकर ने सभी पत्र मराठी भाषा में ही प्रकाशित किये उनका कार्य क्षेत्र महाराष्ट्र था, मराठी वहां की जन भाषा है।।


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