ट्रेन में खिड़की तोड़कर गर्दन में घुसा सब्बल, पैसेंजर की मौके पर ही मौत

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नई दिल्‍ली। होनी होकर रहती है, उसे टाला नहीं जा सकता है। हरिकेश दुबे के साथ हुआ दर्दनाक हादसा इसका सबूत है। जिस तरह हरिकेश की जान गई वो किसी ताज्‍जुब से कम नहीं है। मामला उत्‍तर प्रदेश के अलीगढ़ का है। नीलांचल एक्‍सप्रेस रफ्तार से दिल्‍ली से कानपुर जा रही थी। इसमें हरिकेश दुबे भी सवार थे। बदकिस्‍मती से उन्‍हें वह सीट मिली थी जिसे पाकर लोग खुद को खुशकिस्‍मत समझते हैं। यानी कॉर्नर की सीट। उन्‍हें शायद नहीं पता था कि इस कॉर्नर की सीट पर उनका यह अंतिम सफर होगा। एक सरिया उछलकर ट्रेन का शीशा फोड़कर आई और हरिकेश दुबे के गर्दन के आर-पार हो गई। आखिर यह हादसा हुआ कैसे? इसमें गलती किसकी थी? क्‍या सिर्फ ‘होनी’ कहकर इससे पल्‍ला झाड़ा जा सकता है?

दिल्‍ली से कानपुर जा रही नीलांचल एक्‍सप्रेस में हरिकेश दुबे कॉर्नर सीट पर बैठे थे। रेलवे ट्रैक पर काम चल रहा था। बताया जाता है कि ट्रैक से एक सरिया उछली। यह शीशा तोड़कर हरिकेश की गर्दन में जा घुसी। हरिकेश की मौके पर ही मौत हो गई। सरिया का वेग इतना ज्‍यादा था कि वह सीट को चीरकर इस पार से उस पार निकल गई थी। संयोग से दूसरी ओर बैठे व्‍यक्ति इस हादसे में बाल-बाल बच गए।

यह घटना अलीगढ़ में डाबर-सोमना स्टेशन के बीच हुई। हादसे के समय ट्रेन की रफ्तार करीब 110 किलोमीटर प्रति घंटा थी। कह सकते हैं कि ट्रेन पूरी स्‍पीड के साथ चल रही थी। मौत लेकर आ रही इस सरिया ने किसी को कुछ भी सोचने का मौका नहीं दिया। यह जबर्दस्‍त स्‍पीड से आई और शीशा तोड़कर हरिकेश दुबे की गर्दन के आर-पार चली गई। अगल-बगल बैठे यात्री सन्‍न रहे गए। कुछ सेकेंड तक कुछ समझ ही नहीं आया कि हुआ क्‍या। फिर चीखपुकार मच गई। लोगों को पता चला कि उनके पास बैठे हरिकेश की सरिया ने जान ले ली है। हरिकेश चांदा सुल्‍तानपुर के रहने वाले थे। उनके पिता गोपीनाथ हैं।

तो क्‍या यह मान लेना काफी है कि यह सिर्फ एक दुखद संयोग था? नहीं। यह पूरी तरह से रेलवे की लापरवाही का मामला है। अगर रेलवे ट्रैक का काम चल भी रहा था तो क्‍यों ऐसे इंतजाम नहीं किए गए कि कोई हादसा हो जाए। हरिकेश की जगह वो कोई भी दूसरा शख्‍स हो सकता था। यह नीलांचल एक्‍सप्रेस की जगह और कोई भी हो सकती थी। ऐसा कहना पल्‍ला झाड़ लेने जैसा होगा।

हरिकेश की उम्र बहुत ज्‍यादा नहीं थी। वह न जाने भविष्‍य में क्‍या कुछ करते। हरिकेश हमारे या आपके परिवार का कोई लड़का हो सकता था। रेलवे को इस हादसे की तुरंत जिम्‍मेदारी लेते हुए उनके परिवार के लिए मुआवजे का ऐलान करना चाहिए। तुरंत इस मामले की जांच की जानी चाह‍िए। साथ ही बंदोबस्‍त क‍िए जाने चाह‍िए क‍ि आगे कभी ऐसे हादसे की पुनरावृत्‍त‍ि नहीं हो।


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