नैनीताल ::- भारतीय सेना ने 19 दिसंबर 1961 को राज्य में मार्च किया, जिससे एक रक्तहीन ऑपरेशन हुआ जो गोवा के पुर्तगाली प्रशासन द्वारा आत्मसमर्पण के साथ समाप्त हुआ।
भारतीय नौसेना ने गोवा के मुक्ति दिवस की जयंती (60 वर्ष) के उपलक्ष्य में एक सेमिनार का आयोजन किया। जिसमें यह निर्णय लिया गया कि गोवा मुक्ति दिवस हर साल 19 दिसंबर को मनाया जाता है।
जब भारतीय सशस्त्र बलों ने 1961 में 450 वर्षों के पुर्तगाली शासन से गोवा को मुक्त कराया था।
वर्ष 1510 में पुर्तगालियों ने भारत के कई हिस्सों को उपनिवेश बनाया, 19वीं शताब्दी के अंत तक भारत में पुर्तगाली उपनिवेश गोवा, दमन, दीव, दादरा, नगर हवेली और अंजेदिवा द्वीप (गोवा का एक हिस्सा) तक ही सीमित रहें। 15 अगस्त 1947 को भारत को स्वतंत्रता मिली, भारत ने पुर्तगालियों से अपने क्षेत्रों को सौंपने का अनुरोध किया लेकिन इनकार कर दिया था। गोवा मुक्ति आंदोलन छोटे पैमाने पर एक विद्रोह के रूप में शुरू हुआ लेकिन वर्ष 1940 से 1960 के बीच अपने चरम पर पहुँच गया।
15 अगस्त सन 1947 को भारत को आजादी मिल गई थी लेकिन गोवा 14 साल बाद भारत का हिस्सा बना। वह 19 दिसंबर 1961 को जब गोवा को पुर्तगालियों से आजाद कराया गया। इसलिए 19 दिसंबर को गोवा में मुक्ति दिवस मनाया जाता है। गोवा अपना स्थापना दिवस 30 मई को मनाता है क्योंकि इसी दिन 30 मई 1987 को गोवा को पूर्ण राज्य का दर्जा मिला था।
टोलेमी ने गोवा का उल्लेख वर्ष 200 के आस-पास गोउबा के रूप में किया है। अरब के मध्युगीन यात्रियों ने इस क्षेत्र को चंद्रपुर और चंदौर के नाम से इंगित किया है।
पर मार्च 1510 में अलफांसो-द-अल्बुकर्क के नेतृत्व में पुर्तगालियों का आक्रमण हुआ। गोवा बिना किसी संघर्ष के पुर्तगालियों के कब्जे में आ गया। पुर्तगालियों को गोवा से दूर रखने के लिए यूसूफ आदिल खां ने हमला किया। लिस्बन के समान नागरिक अधिकार दिए गए और 1575 से 1600 के बीच यह उन्नति के सर्वोच्च शिखर पर पहुंचा।
बाद में गोवा में चुनाव हुए और 20 दिसंबर 1962 को दयानंद भंडारकर गोवा के पहले निर्वाचित मुख्यमंत्री बने। वहां जनमत संग्रह हुआ और गोवा के लोगों ने केंद्र शासित प्रदेश के रूप में रहना पसंद किया। बाद में 30 मई, 1987 को गोवा को पूर्ण राज्य का दर्जा दे दिया गया और इस प्रकार गोवा भारतीय गणराज्य का 25वां राज्य बना।
विकास पाठक
संपादक