नैनीताल – साहित्य ने हमेशा ही समाज को रोशनी दिखाई है और पहाड़ ने भी साहित्यकारों लेखकों और कवियों को अपनी ओर खींचा है यहीं कारण भी है कि महादेवी वर्मा सुमित्रा नंदन पंत जैसे कवियों ने इसे अपनी कर्मभूमि भी बनाई लेकिन वक्त के साथ युवाओं का लेखन साहित्य सर्जन व कविता पाठ से दूरी ने दूरी जरुर बनाई लेकिन नैनीताल की लाएबा खान का शौक ने उनको कविता पाठ के साथ साहित्य से जोड़ दिया है…..
दरअसल लाएबा कुमाऊँ विश्वविघालय के डीएसबी परिसर में बीएससी तीसरे साल की छात्रा है..बीएससी की पढाई के साथ लाएबा को कविताओं की रचना के साथ अन्य कवियों और लेखकों को पढना भी पसंद है..कविता पाठ का शौक इस कदर है कि रचनाओं के माध्यम से लोगों को जागरुक करने की मुहिम बना रही हैं।
लाएबा खान ने कहा कि आज संस्कृति व कविता पाठ की तरफ रुझान कम ही लोगों का है और पहाड़ ने कई साहित्यकार देश को दिये ऐसे में लोगों को भी इस ओर आना चाहिये जिसके लिये वो कविता पाठ के जरिये लोगों को जागरुक कर रही हैं। लाएबा कहती हैं कि युवा पीढ़ी का मोह कविता पाठन से भंग हो रहा है। जिसके चलते कई युवा अपनी प्रतिभा को निखार नहीं पाते, युवाओं को चाहिए कि वह कविता के माध्यम से भी लोगों को हर विषय के प्रति जागरूक कर सकते हैं, चाहे वह स्वच्छता हो या फिर रक्त दान। लाएबा खान को महिला सशक्तिकरण व प्रेरणा दायक कविताएं लिखना पंसद है। भविष्य में वह अच्छी कवित्री के रूप में अपनी पहचान बनाना चाहती है। उनका मानना है कि बड़े मंचों में भी कवि सम्मेलनों का आयोजन होना चाहिए। जिससे युवाओं को इस ओर रुझान बढ़े।
यूपी रामपुर की मूल निवासी लाइबा जब इंटरमिडियट की शिक्षा ले रही थी, तभी उन्होंने विद्यालय के वार्षिकोत्सव में पहली बार कविता का मंचन किया था। जहां शिक्षकों व अन्य लोगों ने उनकी खूब सराहना की। जिसके बाद वह कविता लेखन में जुट गई। वह बताती है कि कवि हरिवंश राय बच्चन व राहत इंदौरी की कविताओं से उन्हें काफी प्रेरणाएँ मिली है।