उत्तराखण्डः दिल्ली में केदारनाथ मंदिर के निर्माण का मामला! प्रदेश कांग्रेस कमेटी के महामंत्री शाह ने सीएम धामी को लिखा पत्र

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देहरादून। दिल्ली में स्थापित किये जा रहे श्री केदारनाथ ज्योतिर्लिंग मन्दिर विवाद के मध्य उत्तराखण्ड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के महामंत्री एवं वरिष्ठ राज्य निर्माण आन्दोलनकारी राजेन्द्र शाह ने मुख्यमंत्री धामी को पत्र लिखकर इस प्रकार के विवादों पर रोक लगाये जाने हेतु सख्त कानून की हिमायत किये जाने की मांग की है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को लिखे पत्र में प्रदेश महामंत्री राजेन्द्र शाह ने कहा कि श्री केदारनाथ ज्योतिर्लिंग पीठ की शाखा के नाम पर दिल्ली में स्थापित किये जाने वाले मन्दिर विवाद से पूरे सनातन धर्म में आस्था रखने वालों को गहरा आघात लगा है तथा इसे उत्तराखण्ड के ऐतिहासिक एवं पौराणिक धार्मिक स्थलों के साथ छेड़-छाड़ ही नहीं अपितु यहां के धार्मिक स्थलों का अस्तित्व मिटाने का षड़यंत्र भी माना जा रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि श्री केदारनाथ मन्दिर स्थापना विवाद के मध्य उत्तराखण्ड सरकार द्वारा राज्य के प्रमुख धार्मिक स्थलों की तर्ज पर अन्य स्थानों में स्थापित किये जाने वाले मन्दिरों के नामकरण पर प्रतिबन्ध लगाये जाने सम्बन्धी राज्य मंत्रिमण्डल में लिये गये फैसले का सभी उत्तराखण्डवासी स्वागत करते हैं। परन्तु यह भी विचारणीय बिन्दु है कि जब तक केन्द्र सरकार के स्तर से इस पर कोई कानून नहीं बनाया जाता है तब तक इस प्रकार के फैसले का कोई औचित्य नहीं है।
राजेन्द्र शाह ने यह भी कहा कि राज्य में स्थापित पौराणिक चारों धामों से होने वाली आय न केवल राज्य सरकार के राजस्व का मुख्य स्रोत है अपितु लाखों परिवारों की आजीविका का साधन भी है। श्री केदारनाथ ज्योतिर्लिंग जैसे विवादों से राज्य के तीर्थ पुरोहितों के हक-हकूक भी प्रभावित होते हैं। यदि इस प्रकार के विवादों से बचने के लिए सख्त कानून नहीं बनाया जाता है तो उत्तराखण्ड के चारों धामों मे दर्शन हेतु आने वाले तीर्थ यात्रियों से होने वाली आय से लगभग 5 लाख परिवारों के सामने रोजी रोटी का संकट खड़ा हो जायेगा। प्रदेश कांग्रेस महामंत्री ने मुख्यमंत्री धामी से आग्रह किया है कि राज्य मंत्रिमंडल में लिये गये फैसले पर विधानसभा में संकल्प पारित कर केन्द्र सरकार को इस आशय के साथ भेजा जाना चाहिए कि इस पर तत्काल प्रभाव से सख्त कानून बने ताकि उत्तराखण्ड सहित अन्य स्थानों में स्थापित धाम, ज्योतिर्लिंग एवं पवित्र तीर्थ स्थानों के नामों का दुरूपयोग न हो पाये तथा उन पर वैदिक एवं पौराणिक समय से चली आ रही आस्था यथावत बनी रहे।


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