प्रजा के अधिकारों की लड़ाई लडने वाले क्रांतिकारी को किया याद, जेल का सजाया दुल्हन की तरह।

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श्री देव सुमन को उनके बलिदान दिवस पर याद किया गया  टिहरी राजशाही के चुंगल से टिहरी की प्रजा को आजाद कराने वाले महान स्वतंत्रता सेनानी श्री देव सुमन को उनके बलिदान दिवस पर किया गया याद, जिले में जगह-जगह कार्यक्रम आयोजित  किये गये, टिहरी विधायक किशोर उपाध्याय,जिला अधिकारी मयुर दीक्षित,व अन्य लोगों ने सुमन जी की बेड़ियाँ देखी,  सुमन जी के मूर्ति पर माल्यार्पण कर पुष्प अर्पित किये,सुबह ही शिक्षण संस्थाओं के बच्चों ने प्रभात फेरी निकाली तथा सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए गए व वृक्षारोपण किया गया,

श्री देव सुमन की मृत्यु का भी एक आश्चर्य है कि उनका जन्म भी 25 मई 1916 को हुआ और मृत्यु भी 25 जुलाई 1944 को हुई यानी मृत्यु एक ही तारीख में हुई ऐसा आश्चर्य बहुत कम देखने को मिलता है

टिहरी राजशाही की दमनात्मक अत्याचारों से मुक्ति पाने के लिए, टिहरी की जनता छटपटा रही थी, ओर टिहरी राजशाही के खिलाफ श्री देव सुमन ने  84 दिनों की ऐतिहासिक भूख हड़ताल करके अपने प्राणों की आहुति दे दी,साथ ही उनपर  टिहरी राजशाही द्वारा अत्याचार किये गए उन्हें 35 सेर लोहे की बेड़िया से बंदी बनाकर जेल में रखा गया,उनपर अनेको अत्याचार किये गये जब इससे भी मन नही भरा तो इनको रोटियों में कांच पीसकर खिलाया गया,और 25 जुलाई 1944 को बलिदान हो गये

जब भी श्री देव सुमन की जन्म दिन हो या बलिदान दिवस हो उस दौरान उनकी 35 सेर लोहे के बेड़ियों को देखने के लिए लोग पहुंचते ही ओर उस दिन टिहरी जेल सबको देखने के  लिए खोल दी जाती है ,कि किस तरह से कैदियों को जेल में रखा जाते है और किस तरह से कैदी रहते है

25 मई 1916 को टिहरी जिले के चंबा विकास खंड के जौल गांव में जन्मे जुझारू व संघर्षशील युवा( बचपन का नाम श्री दत्त बडोनी) जिन्हें बाद में श्री देव सुमन के नाम से जाना गया,ने क्रूर राजशाही के खिलाफ संघर्ष का बिगुल बजा दिया

राजशाही के फरमान पर श्री देव सुमन को अनेकों बार टिहरी जेल में डाला गया, अंतिम बार वह 209 दिनों तक टिहरी जेल में रहे, उन्हें जेल में अनेकों यातनाएं दी गई, नारकीय जीवन जीने को मजबूर किया गया, इतना ही नहीं रोटी में काँच पीस कर उन्हें खिलाया गया

राजशाही की क्रूर व दमनात्मक अत्याचारों के खिलाफ सुमन जी ने  टिहरी जेल में 3मई 1944 से आमरण अनशन शुरू कर दिया था,84 दिनों तक आमरण अनशन पर डटे रहे लोकतंत्र के शिल्पी,अमर सेनानी श्रीदेव सुमन प्रजा के अधिकारों की लड़ाई लड़ते हुए 25 जुलाई 1944 को अपने प्राणों की आहुति दे दी

जिला अधिकारी मयूर दीक्षित ने कहा कि आज के दिन एक महान आत्मा अमर शहीद श्री देव सुमन का बलिदान दिवस है और अमर शहीद श्री देव सुमन ने लोगों के अधिकारों के लिए लड़ाई लड़ी थी और 84 दिनों तक भूखे रहकर बलिदान हुए, राज्य सरकार द्वारा श्री देव सुमन के में परिपेक्ष में जितनी भी  घोषणा की गई हैं उनको धरातल पर उतारने का काम किया जाएगा,

टिहरी के भाजपा विधायक किशोर उपाध्याय ने बड़ी बात कहते हुये कहा कि आज श्री देव सुमन के बलिदान दिवस पर संकल्प लेने की आवश्यकता है और कहा कि श्री देव सुमन का जो बलिदान है वह मंगल पांडे और और चंद्रशेखर आजाद से भी कम नहीं है श्री देव सुमन 84 दिन तक तिल तिल के मरना भूखे रहकर अनशन किया है  और दर्द उसकी आत्मा ही जानती है जिसने हड़ताल की हो, श्रीदेव सुमन ने कें बलिदान को देखें तो उन्होंने अपने वर्तमान को हमारे भविष्य के लिए कुर्बान कर दिया साथ ही बड़ी बात कही कि टिहरी की धरती है जिसने मां गंगा को पैदा किया है टिहरी की धरती है जिसने सुंदरलाल बहुगुणा,विश्वेश्वर दत्त सकलानी
जैसे पर्यावरणविद हुये  जिन्होंने अपने जीवन काल में 50 हजार से अधिक पेड़ लगाए और   इंद्रमणि बडोनी नहीं होते  तो उत्तराखंड राज्य भी नहीं बनता इस इसलिए हमारी ज्यादा जिम्मेदारी बनती है इसलिए आज हम संकल्प बंद हो गए हैं और 13 लाख वृक्षों का इस बार हम वृक्षारोपण करने जा रहे हैं टिहरी विधायक किशोर उपाध्याय ने  सरकार से टिहरी बांध की झील का नाम सुमन सागर रखने की मांग की है


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