![](https://samachaar24x7india.com/wp-content/uploads/2024/07/300x250-1.jpeg)
इस्लामाबाद. पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान (Imran Khan) और उनकी पत्नी बुशरा बीबी (Bushra Bibi) समेत पीटीआई के 80 सदस्यों को नो फ्लाई लिस्ट में डाल दिया गया है. इसका मतलब अब वह देश छोड़कर बाहर नहीं जा सकेंगे. सैन्य प्रतिष्ठानों पर उनके समर्थकों द्वारा किए गए हमलों के बाद यह प्रतिक्रिया सामने आई है. इससे पहले बीते बुधवार को इमरान खान ने देश वासियों को संबोधित करते हुए कहा था कि उनकी पार्टी पर बड़े पैमाने पर कार्रवाई की जा रही है.
वहीं, पूर्व पीएम ने देश के कई प्रांतों में अनुच्छेद 245 लागू किये जाने को लेकर सरकार के खिलाफ एक याचिका दायर कर इसे अघोषित ‘मार्शल लॉ’ करार दिया है. पाकिस्तान के संविधान के अनुच्छेद 245 के अनुसार, देश की सुरक्षा करने में नागरिक प्रशासन की सहायता के लिए सेना बुलाई जा सकती है.
पूर्व प्रधानमंत्री ने ट्वीट करते हुए आरोप लगाया है कि पाकिस्तान सरकार उनकी पार्टी को खत्म करने की कोशिश कर रही है. उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा है, ‘आज सबसे बड़ी और एकमात्र संघीय पार्टी बिना किसी जवाबदेही के राज्य सत्ता के पूर्ण रोष का सामना कर रही है. 10,000 से अधिक पीटीआई कार्यकर्ता और समर्थक वरिष्ठ नेतृत्व सहित जेल में हैं और कुछ हिरासत में यातना का सामना कर रहे हैं.’
इस ट्वीट से पहले उन्होंने कहा था ‘आज सत्ता में रहने वाले किसी भी व्यक्ति’ के साथ बातचीत के लिए एक समिति गठित करने के लिए तैयार हैं. 9 मई को अर्धसैनिक रेंजरों द्वारा खान की गिरफ्तारी के बाद हिंसक विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए थे.
बता दें इस महीने की शुरुआत में पीटीआई समर्थकों द्वारा हिंसा में शामिल होने के बाद से इमरान खान आलोचनाओं का सामना कर रहे हैं. रावलपिंडी में सेना मुख्यालय सहित कई सैन्य प्रतिष्ठानों पर भीड़ ने हमला कर दिया था. पुलिस के अनुसार इस हिंसक झड़प में करीब 10 लोगों की मौत हो गई थी.
पाकिस्तान में लगा अघोषित ‘मार्शल लॉ’
इमरान खान ने न्यायालय में याचिका दायर कर पंजाब, खैबर पख्तूनख्वा, बलूचिस्तान और इस्लामाबाद में अनुच्छेद 245 लागू किये जाने को चुनौती दी है. पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) पार्टी के प्रमुख ने कहा कि सेना अधिनियम, 1952 के तहत नागरिकों की गिरफ्तारियां, जांच और मुकदमे असंवैधानिक व अमान्य हैं और कोई कानूनी प्रभाव नहीं रखते हैं. उन्होंने कहा कि ये संविधान, कानून का शासन और न्यायपालिका की स्वतंत्रता को अस्वीकार करने के समान है. याचिका में प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ, पीएमएल-एन प्रमुख नवाज शरीफ और उनकी बेटी मरयम नवाज, पूर्व राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी, जेयूआई-एफ प्रमुख मौलाना फजलुर रहमान और अन्य को प्रतिवादी बनाया गया है.
.