एक्सरे मशीन का अविष्कार कब और किसने किया, जानें कैसे हुई एक्स-रे की क्रांतिकारी

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एक्सरे का चिकित्सा के क्षेत्र में एक अहम् योगदान है। जहाँ पहले शरीर के अंदर की बिमारी का पता लगाने के लिए शरीर के उस हिस्से में चीरा लगाकर ही पता लग पाता था वहीँ एक्सरे मशीन आने के बाद बिना चीरे ही बिमारी का पता लगाया जा सकता है।

एक्स-रे की खोज ब्रिटेन के वैज्ञानिक विल्हेम रोन्टजेन ने की, जिन्होंने सबसे पहले 1895 में क्रूक्स ट्यूबों से निकलने वाले एक्सरे की खोज की और इसके कई महत्वपूर्ण उपयोग समझाए। इसके बाद 18 जनवरी 1896 को एच एल स्मिथ ने औपचारिक रूप से एक एक्सरे मशीन को पेश की।

विल्हेम रोन्टजेन को जिन्होंने सबसे पहले 1895 में क्रूक्स ट्यूबों से निकलने वाले एक्सरे की खोज की और इसके कई महत्वपूर्ण उपयोग समझाए।

इसके बाद 18 जनवरी 1896 को एच एल स्मिथ ने औपचारिक रूप से एक एक्सरे मशीन को पेश किया। इसके बाद 1904 में मेले क्लैरेंस ने सार्वजानिक इस्तेमाल के लिए एक पूर्ण रूप से कामकाजी एक्सरे मशीन पेश की। पहली बार एक्सरे मशीन का इस्तेमाल जूते बेचने के स्टोर्स में किया गया था।

एक्स’ किरणों का प्रयोग आज टूटी हुई हड्डियों की तस्वीर लेने में, रेडिएशन थैरेपी में तथा हवाई अड्डों की सुरक्षा आदि में किया जा रहा है। इनकी खोज जर्मनी के भौतिकशास्त्री विल्हेल्म कोनराड रॉन्टजन ने सन् 1895 में 50 वर्ष की उम्र में की थी। 18वीं सदी के अंत तक वैज्ञानिकों को इन किरणों के बारे में कोई जानकारी नहीं थी इसलिए इनका नामकरण ‘एक्स रे’ किया गया जिसका मतलब होता है ‘अज्ञात किरणें’। रॉन्टजन के नाम इन किरणों को ‘रॉन्टजन रेज’ भी कहा जाता है। इनकी खोज के लिए रॉन्टजन को 1901 में भौतिकी का पहला नोबेल पुरस्कार भी प्रदान किया गया था।



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