चुनाव से पहले तेज हुई समान नागरिक संहिता लागू करने की सुगबुगाहट

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इस साल के आखिरी तक पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं। अगले साल लोकसभा चुनाव है। इस बीच, देश में एक बार फिर से यूनिफॉर्म सिविल कोड यानी समान नागरिक संहिता (UCC) लागू करने की सुगबुगाहट तेज हो गई है। सरकार की ओर से गठित 22वें विधि आयोग ने समान नागरिक संहिता पर आम जनता और धार्मिक संस्थाओं के प्रमुखों से विचार विमर्श और राय मांगने का कार्य शुरू कर दिया है।

सियासी गलियारे में चर्चा है कि आने वाले दस महीने तक समान नागरिक संहिता का मुद्दा पूरे देश में हावी रहेगा। सवाल ये है कि आखिर अब तक इस मसले पर क्या-क्या हुआ? क्या लोकसभा चुनाव से पहले केंद्र सरकार पूरे देश में समान नागरिक संहिता लागू कर देगी? आइए समझते हैं…

पहले जानिए क्या है समान नागरिक संहिता?
संविधान में समान नागरिक संहिता यानी यूनिफॉर्म सिविल कोड एक ऐसा प्रावधान होगा, जिसमें सभी नागरिकों के लिए एक समान कानून होंगे। फिर वह किसी धर्म, जाति या समुदाय से क्यों न हो। इसमें शादी, तलाक, गोद लेने की प्रक्रिया और संपत्ति के बंटवारे में सभी धर्मों के लिए एक ही कानून लागू होगा।

समान नागरिक संहिता एक पंथनिरपेक्ष कानून होता है जो सभी धर्मों के लोगों के लिए समान रूप से लागू होता है। इसके जरिए हर मजहब के लिए एक जैसा कानून आ जाएगा। अभी अलग-अलग धर्मों के लिए अलग-अलग पर्सनल लॉ हैं, जो समान नागरिक संहिता लागू होने के बाद खत्म हो जाएंगे। इसमें महिलाओं और पुरुषों को भी समान अधिकार मिलेंगे। मुस्लिम, ईसाई और पारसी समुदाय का पर्सनल लॉ है जबकि हिन्दू सिविल कोड के तहत हिन्दू, सिख, जैन और बौद्ध आते हैं।


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