मकर संक्रांति के अवसर पर भारत सहित दुनियाभर के एक करोड़ से अधिक लोगों ने मिलकर सूर्य नमस्कार किया। कोरोना महामारी के दौरान तन और मन को स्वस्थ रखने के लिए लोग इस कार्यक्रम से जुड़े।
इस साल सूर्य का धनु से मकर राशि में प्रवेश 14 जनवरी की रात 8.49 बजे हो रहा है, लेकिन स्नान-दान समेत पर्व के विधान 15 जनवरी को पूरे किए जाएंगे। धर्म शास्त्रीय निर्णय अनुसार सूर्यास्त के बाद सूर्य की मकर राशि में संक्रांति होने पर पुण्यकाल अगले दिन मान्य होता है। यह प्रातः से दोपहर 12.49 बजे तक रहेगा। सूर्य जब धनु से मकर राशि में प्रवेश करते हैं तो इसे मकर संक्रांति कहा जाता है। सूर्यदेव के एक माह बाद धनु से 14 जनवरी की रात मकर राशि में प्रवेश के साथ ही खरमास की समाप्ति हो जाएगी। अगले दिन 15 जनवरी को मकर संक्रांति मनाई जाएगी। सूर्य के उत्तरायण होते ही विवाह आदि मांगलिक कार्य प्रारंभ हो जाएंगे। विवाह का प्रथम मुहूर्त 15 जनवरी को है।
ग्रह का जिस राशि में प्रवेश होता है, उस राशि की संक्रांति मानी जाती है। सभी ग्रहों की संक्रांतियों में सूर्य की संक्रांति विशेष पुण्यदायक होती है। इसीलिए संक्रांति के नाम से सामान्यतया सूर्य की संक्रांति का ही बोध होता है।
सूर्य के सभी राशियों में भ्रमण क्रम में 12 संक्रांतियां होती हैं, लेकिन सूर्य के उत्तरी गोलार्ध की तरफ उन्मुख होकर देवताओं की अर्धरात्रि की समाप्ति के अनंतर दिन की तरफ अग्रसर होने से मकर संक्रांति का विशेष महत्व है। सूर्य के दक्षिण से उत्तर की तरफ अग्रसरित होने से इसे उत्तरायण संक्रांति भी कहते हैं।
