2019 से हर साल 4 जनवरी को विश्व स्तर पर विश्व ब्रेल दिवस के रूप में मनाया जाता है। यह दिन दृष्टि बाधित और दृष्टि-विहीन लोगों के लिए मानवाधिकार हासिल करने में संचार के साधन के रूप में ब्रेल के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए मनाया जाता है। यह दिन दृष्टि बाधित लोगों के लिए ब्रेल लिपि विकसित करने वाले लुई ब्रेल की जयंती को चिन्हित करने के लिए मनाया जाता है।
नेत्रहीन लोगों और मंददृष्टि के शिकार लोगों के मानव अधिकारों को सुनिश्चित करने एवं उनके मूलभूत जरूरतों को पूरा करने के लिए प्रतिवर्ष 4 जनवरी को विश्व ब्रेल दिवस मनाया जाता है।
फ्रांस में रहने वाले लुइस ब्रेल दृष्टिहीन होते हुए भी दृष्टिहीनों को पढ़ने लिखने योग्य बनाया। उन्होंने मात्र 15 वर्ष की आयु में दृष्टिहीनों के लिए एक अलग लिपि का विकास किया जिसे ब्रेल लिपि का नाम प्रदान किया गया।
विकलांग व्यक्तियों के अधिकारों पर कन्वेंशन के अनुच्छेद 2 में वर्णित उपबंध को पूरा करने हेतु ब्रेल लिपि को आवश्यक माना गया है। विकलांग व्यक्तियों के अधिकारों पर कन्वेंशन के अनुच्छेद 2 में विकलांग व्यक्तियों के शिक्षा, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, सामाजिक समावेशन इत्यादि का लक्ष्य रखा गया है।
नेत्रहीनों को हमेशा के लिए एकभाषा देने वाले लुईस ब्रेल थे। 16 साल की उम्र ही ब्रेल लिपि का विकास कर लिया था और अपना पूरा जीवन ही इसे आधिकारिक मान्यता दिलवाने में लगा दिया था।
ब्रेल प्रत्येक अक्षर और संख्या के साथ-साथ संगीत, गणितीय और वैज्ञानिक प्रतीकों के बारे में बताने के लिए छह बिंदुओं का उपयोग करते हुए अक्षर और संख्यात्मक प्रतीकों का एक स्पर्श-संबंधी लिपि है। नेत्रहीन और आंशिक रूप से देखे जाने वाले लोगों द्वारा एक ही किताबों और पत्रिकाओं को एक दृश्य फ़ॉन्ट में मुद्रित करने के लिए किया जाता है।
शिक्षा अभिव्यक्ति और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के साथ ही सामाजिक समावेश के संदर्भ में ब्रेल आवश्यक है। विकलांग व्यक्तियों के अधिकारों पर कन्वेंशन के अनुच्छेद 2 में विदित है।