कर्नाटक में बजरंग दल पर लगेगा बैन, घोषणा पत्र में किया था वादा

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कर्नाटक में कांग्रेस ने जो घोषणापत्र में वादे किए, उसमें एक वादा बजरंग दल पर सख्ती करके निर्णायक फैसला लेने का भी है। नई सरकार के गठन के साथ ही पहली कैबिनेट में बजरंग दल पर कड़ी सख्ती करने की तैयारियों को अमलीजामा पहनाए जाने की शुरुआत की जाएगी। कांग्रेस से जुड़े सूत्रों का कहना है कि जो वादे उनके घोषणा पत्र में किए गए हैं, उन्हें अमल में तो लाया ही जाएगा, वहीं बजरंग दल पर सख्ती किए जाने या प्रतिबंध लगाने की तैयारी के साथ शुरू की जाने वाली कवायद का असर उत्तर भारत में किस तरह होगा, इसे भी कांग्रेस और भाजपा अपने नजरिए से न सिर्फ देख रही हैं, बल्कि उसकी बड़ी रणनीतियां भी बना रही है। माना यही जा रहा है कि बजरंग दल पर अगर कर्नाटक में पहली कैबिनेट के साथ ही कोई कड़ी कारवाई की जाती है, तो इसका असर उत्तर भारत में देखने को मिलेगा। हालांकि 31 साल पहले कांग्रेस की सरकार ने ही पूरे देश में बजरंग दल पर प्रतिबंध लगाया था।

कर्नाटक में कांग्रेस की सरकार बन चुकी है। सियासी गलियारों में सबसे ज्यादा निगाहें कांग्रेस के घोषणा पत्र में पीएफआई और बजरंग दल जैसे संगठनों पर कड़ी कार्यवाही और सख्ती करने के वादे पर लगी हुई हैं। कर्नाटक में कांग्रेस का चुनाव प्रबंधन देख रहे पार्टी के वरिष्ठ नेता कहते हैं कि जैसे ही सरकार का गठन होगा और मुख्यमंत्री शपथ लेंगे, उसके बाद की जाने वाली पहली कैबिनेट की बैठक में जनता से किए गए वादों को पूरा करने की शुरुआत कर दी जाएगी। सूत्रों का कहना है कि इसमें बजरंग दल और पीएफआई जैसे संगठनों की पुरानी सरकारों में की गई कार्य प्रणालियों और उनके ऊपर दर्ज मुकदमों समेत पूरी हिस्ट्री को भी चेक किया जाएगा। पार्टी से जुड़े सूत्र बताते हैं कि कांग्रेस ने सिर्फ बजरंग दल ही नहीं बल्कि पीएफआई जैसे संगठनों पर भी कड़ी से कड़ी सख्ती बरतने और जरूरत पड़ने पर निर्णायक रूप से बड़े फैसले, जिसमें प्रतिबंध भी शामिल हैं, लिए जा सकते हैं।


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