अल्मोड़ा ::- देवभूमि स्पंदन संस्कृति का संरक्षण एवं संवर्धन विषय पर आयोजित तीन दिवसीय क्षेत्रीय कला प्रदर्शनी का समापन हुआ। समापन सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय अल्मोड़ा के दृश्य कला संकाय एंड चित्रकला विभाग के सभागार में हुआ इस तीन दिवसीय कला प्रदर्शनी के संयोजक योगेश डसीला और समस्त फाइनल स्कोर तक के विद्यार्थियों के संयोजन में यह प्रदर्शनी आयोजित की गई।
प्रदर्शनी के समापन सत्र में मुख्य अतिथि गोविंद पिल्खवाल, पूर्व दर्जा राज्य मंत्री उत्तराखंड सरकार, प्रो.जगत सिंह बिष्ट, शोध निदेशक सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय अल्मोड़ा, प्रो. शेखर चंद्र जोशी,अधिष्ठाता शैक्षिक प्रो.सोनू दिवेदी ‘शिवानी’, संकायाध्यक्ष दृश्यकला एवं विभागाध्यक्ष चित्रकला, डॉ.संजीव आर्य, वरिष्ठ प्राध्यापक चित्रकला, इंद्र मोहन, विनीत बिष्ट, दर्शन रावत, चंदन लटवाल मंचासीन रहे।
प्रो.शेखर चंद्र जोशी ने अतिथियों का स्वागत किया और 1995 में लगाई पंत संग्रहालय का स्मरण किया और कहा कि उनका संपूर्ण जीवन कला को समर्पित है कलाकार की कला का प्रचार प्रसार होना आवश्यक एवं उनको आर्थिक प्रोत्साहन भी मिलना चाहिए उन्होंने अपने कला संस्था फाउंडर वैशाख एलपी अल्मोड़ा की तरफ से सभी कलाकारी प्रतिभागियों में से कुछ को 500 रु.की आर्थिक सहायता दी।
प्रो.जगत सिंह बिष्ट दृश्य कला के दस नो धर्मी युवा कलाकारों के निरंतर किए जा रहे प्रयास की सराहना की और शिक्षक अनुरूप चित्रों की प्रशंसा की उन्होंने कहा कि साहित्य और कला का एक अटूट संबंध है चित्र काव्य की तरह होते हैं जहां कलाकार का भाव रूपों में ले बंद होता है।
गोविंद पिल्खवाल ने सरकार के स्तर पर कलाकारों के उत्थान हेतु प्रयास की बात कही एवं उन्होंने आर्थिक सहयोग दिलाने का आश्वासन भी दिया आप वास्तव में कलाकारों के विकास के लिए आर्थिक सुदृढ़ता अत्यंत आवश्यक है उन्होंने संकाय विभाग के छात्र छात्राओं के अनुशासन पूर्ण व्यवहार की एवं प्रदर्शनी संयोजक के सफल प्रयास की सराहना की।
प्रो.सोनू द्विवेदी शिवानी विभागाध्यक्ष चित्रकला एवं संघ का अध्यक्ष दृश्य कला ने कहा कि राज्य ललित कला अकादमी की स्थापना यहां के कलाकारों ग्रामीण एवं लोक कलाकारों के उत्थान एवं विकास हेतु अत्यंत अनिवार्य है उन्होंने कहा कि दृश्य कला संकाय उत्तराखंड का एकमात्र ऐसा संस्थान है जहां पर फाइन आर्ट से स्नातकोत्तर की डिग्री प्रदान की जा रही है उन्होंने बताया कि सभी विद्यार्थी आज रोजगार पर कार्य में है।
डॉ.संजीव आर्य ने प्रतिभागी कलाकारों ने अतिथियों का धन्यवाद ज्ञापन किया साथ ही उन्होंने का युवा कलाकारों को कला की बारीकियों से अवगत कराया कार्यक्रम संयोजक योगेश सिंह दसीला एवं उनके सहयोगी सहपाठियों ने शॉल ओढ़ाकर अतिथियों का सम्मान किया तथा विभाग संकाय के विद्यार्थियों द्वारा बनाए गए अपन को प्रतीक चिन्ह के रूप में दिया। पूरे दिन प्रदर्शनी अवलोकन हेतु खुली रही और भारी संख्या में दर्शक प्रदर्शनी कक्ष में उपस्थित रहे। समापन के अवसर पर शहर के गणमान्य लोग भी कलाकारों को उत्साहवर्धन हेतु उपस्थित रहे।
उन्होंने कहा कि यहां पर प्रदर्शित चित्रकला सौंदर्य और विषय की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है हम सभी मिलकर शासन स्तर से इसकी बिक्री और देहरादून तक एवं अन्य शहरों में आयोजित होने वाले उत्सव समारोह में प्रदर्शित करवाने का प्रयास करेंगे जिससे कलाकारों को आय के स्रोत बड़े और उनका उत्साहवर्धन हो।
कार्यक्रम संयोजक योगेश सिंह डसीला ने मंच संचालन किया। कार्यक्रम के अंत में उन्होंने सर्वश्रेष्ठ छह: चित्रों के चित्रकारों के नामों की घोषणा की और उन्हें पुरस्कृत किया। जिनमें निशा रौतेला, योगेश सिंह भंडारी, मोहम्मद बिलाल, नन्दिता महर, ज्योति, सुगम गौड़ रहे।
प्रदर्शनी में विशेष सहयोग चन्दन आर्या, कौशल कुमार, सन्तोष सिंह मेर, पूरन सिंह, जीवन चन्द्र जोशी, मुकेश चन्याल, दिव्या ह्याकी, निकिता शर्मा, निशा रौतेला, गीतांजलि रावत, पंकज जायसवाल, दिव्यांशु जोशी, योगेश भंडारी, नन्दिता महर, निकिता नेगी, हर्षित सामंत, मोहम्मद बिलाल, महेन्द्र आर्या व अन्य सभी दृश्यकला व चित्रकला के विद्यार्थियों ने किया।