केवल केएल ही है लखनऊ की हार के जिम्मेदार? धीमी बल्लेबाजी पर एकबार फिर खड़े हो रहे सवाल!

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नई दिल्लीः ‘स्ट्राइक रेट ओवररेटेड है’ जब भी केएल राहुल की बल्लेबाजी को लेकर चर्चा होती है, उनका ये बयान सहज ही इस चर्चा का हिस्सा बन जाता है. खास तौर पर जब राहुल का बल्ला नहीं चलता या फिर जरूरत के मुताबिक रफ्तार से उनके बल्ले से रन नहीं निकलते, तब तो इस बयान का इस्तेमाल राहुल पर तंज मारने के लिए किया जाता है. खुद राहुल ने भी कई बार खुद के बचाव में ये बयान दोहराया.

शनिवार 22 अप्रैल की शाम लखनऊ में जो हुआ, उसके बाद जरूर राहुल अपने इस बयान पर दोबारा सोचना चाहेंगे. गुजरात टाइटंस के खिलाफ केएल राहुल ने जो पारी खेली, उसने एक बार फिर लखनऊ के कप्तान की बल्लेबाजी के तरीकों को सवालों के घेरे में खड़ा कर दिया. हाथ आया मैच कैसे गंवाया जाता है, राहुल और उनकी टीम लखनऊ ने लाखों लोगों के सामने इसका सबसे बड़ा उदाहरण पेश किया.

पहले ओवर से ही फिसले राहुल
गुजरात के सामने लखनऊ हारी नहीं, बल्कि उसे हराया. हराने वालों में गुजरात के गेंदबाजों से ज्यादा उसके बल्लेबाज अहम किरदार साबित हुए. उसमें भी कप्तान राहुल सबसे बड़े गुनहगार रहे. इसकी शुरुआत उन्होंने पारी के पहले ओवर में ही कर दी थी.राजस्थान रॉयल्स के खिलाफ पिछले मैच में पारी का पहला ही ओवर मेडन रहा था. ट्रेंट बोल्ट के इस ओवर का सामना राहुल ने किया था. राहुल ने गुजरात के खिलाफ भी यही हरकत दोहराई और मोहम्मद शमी के पहले ओवर में कोई रन नहीं बनाया.

वह इस सीजन में दो मेडन ओवर खेलने वाले पहले बल्लेबाज बने. पिछले मैच में तो लखनऊ ने फिर भी जीत हासिल कर ली थी लेकिन इस बार राहुल की इस गलती से लखनऊ को राहत नहीं मिल पाई.

 

बाउंड्री चाहिए थी, 45 गेंदें खाली निकाली
पहले ओवर से लेकर आखिरी ओवर तक राहुल क्रीज पर रहे. वह टीम को जिताने हुए दिखे. उन्होंने अपने आईपीएल करियर में एक और अर्धशतक जोड़ा. इस दौरान वह सबसे कम पारियों में 7000 टी20 रन पूरे करने वाले भारतीय बल्लेबाज भी बने. नतीजा फिर भी क्या रहा- लखनऊ की हार.

मैच की 120 गेंदों में से राहुल ने 61 गेंदों का सामना अकेले किया, जिसमें उनके बल्ले से सिर्फ 68 रन निकले. यानी 111 का स्ट्राइक रेट. आखिरी दो ओवरों से पहले तक वह टीम की जीत के स्टार साबित हो रहे थे, भले ही रनों की रफ्तार गिर रही थी लेकिन उनके लिए अंत भला नहीं हो पाया.

 

राहुल ने अपनी पारी में 8 चौके जमाए, जिसमें से आखिरी चौका 11वें ओवर में आया था. इसके बाद अगले 9 ओवरों में वह कोई बाउंड्री नहीं लगा सके. सिर्फ राहुल ही नहीं, बल्कि लखनऊ के सभी बल्लेबाज नाकाम रहे.

स्ट्राइक रेट ओवररेटेड नहीं है राहुल!
13वें ओवर में क्रुणाल पंड्या ने एक छक्का जमाया था. इस वक्त लखनऊ को 45 गेंदों में सिर्फ 39 रन चाहिए थे और 1 विकेट ही गिरा था. राहुल उस वक्त 38 गेंदों में 50 रन पर थे. इसके बाद उन्होंने 23 गेंदों का सामना किया और सिर्फ 18 रन बनाए. जाहिर तौर पर राहुल की धीमी बैटिंग उनकी टीम की हार की वजह बनी.

जाते-जाते एक और आंकड़ा- आईपीएल करियर में केएल राहुल ने 26 पारियों में 50 से ज्यादा गेंदों का सामना किया है. इसमें से 12 पारियों में उनकी टीम को हार का सामना करना पड़ा है. ये आंकड़े और ऊपर का ब्यौरा बताने के लिए काफी है- स्ट्राइक रेट ओवररेटेड नहीं है.


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