उत्तराखंड चारधाम यात्रा में पहली बार लगेगा आंचल डेयरी के स्टॉल! घोड़े-खच्चरों का रजिस्ट्रेशन शुरू

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उत्तराखंड चारधाम की यात्रा को लेकर तैयारियां जोरों-शोरों पर चल रही है। शासन-प्रशासन के स्तर से व्यवस्थाओं को मुकम्मल किया जा रहा है। पशुपालन विभाग की ओर से भी तमाम व्यवस्थाओं को दुरुस्त करने की कवायद शुरू हो गई है। इसके तहत यात्रा मार्गों पर यात्रियों को धामों तक पहुंचने वाले घोड़े-खच्चरों की रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया भी शुरू कर दी गई है। उत्तराखंड दुग्ध विभाग की ओर से पहली बार चारधाम यात्रा मार्गों और केदारनाथ-बदरीनाथ मंदिर परिसर में आंचल डेयरी के स्टॉल लगाए जाएंगे। ताकि धामों में आने वाले श्रद्धालुओं को शुद्ध दूध और उससे जुड़े उत्पाद उपलब्ध हो सके।

चारधाम यात्रा मार्गों पर आंचल डेयरी का स्टॉल लगाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। यात्रा रूटों पर आंचल की स्टेशनरी वैन भी होगी। इसके साथ ही केदारनाथ और बदरीनाथ धाम के परिसर में भी आंचल डेयरी का स्टॉल लगाया जाएगा। मंत्री सौरभ बहुगुणा ने कहा कि स्टॉल लगाने की मुख्य वजह यही है कि देश के तमाम हिस्सों से आने वाले श्रद्धालुओं को शुद्ध एवं उत्तम क्वालिटी का दूध और उससे जुड़े उत्पादों को उपलब्ध कराया जा सके। साथ ही कहा कि सरकार की कोशिश है कि ‘आंचल’ को अधिक से अधिक प्रमोट किया जा सके। मंत्री बहुगुणा ने कहा कि चारधाम यात्रा के दौरान घोड़े-खच्चरों का एक अहम योगदान रहता है। लिहाजा घोड़े-खच्चरों के लिए रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया को शुरू कर दिया है। रजिस्ट्रेशन के लिए जो छोटे-छोटे आसपास के गांव हैं वहा पर कैंप लगाकर रजिस्ट्रेशन किया जा रहा है। इसके अलावा रजिस्ट्रेशन कैंप के साथ ही हेल्थ कैंप भी लगाया जाएगा। ताकि चोटिल या बीमार घोड़े-खच्चरों का इलाज किया जा सके। घोड़े-खच्चरों के आराम करने के लिए त्रियुगीनारायण मंदिर के समीप टेंट की व्यवस्था की जाएगी। गौरीकुंड में घोड़े-खच्चरों के आराम के लिए बनाए गए टेंट को और अधिक बेहतर किया जा रहा है। उत्तराखंड चारधाम यात्रा के दौरान श्रद्धालु केदारनाथ और यमुनोत्री धाम में घोड़े खच्चरों का इस्तेमाल करते हैं। लेकिन यात्रा के दौरान कई बार इन बेजुबान जानवरों के साथ अत्याचार के भी कई मामले देखे जाते रहे हैं। जिसके चलते कई बार बेजुबान जानवरों की रास्ते में ही मौत भी हो जाती है। इस मामले की गंभीरता को देखते हुए पशुपालन मंत्री सौरभ बहुगुणा ने कहा कि जानवरों के साथ क्रूरता न हो, इसके लिए आईटीबीपी से घोड़े खच्चरों के संचालकों की ट्रेनिंग कराई जा रही है। ताकि इन बेजुबान जानवरों पर यात्रा के दौरान होने वाली क्रूरता पूरी तरह से लगाम लगाई जा सके।


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