समान नागरिक संहिता विधेयक: 20 महीने में धरातल पर उतरा चुनाव में किया गया यूसीसी का वादा! कई लोगों ने निभाई अहम भूमिका

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उत्तराखंड सरकार ने आखिरकार समान नागरिक संहिता विधेयक को विधानसभा में प्रस्तुत कर इसे कानूनी शक्ल देने का रास्ता साफ कर दिया। ऐसा कर उत्तराखंड देश का पहला राज्य बन जाएगा, जहां समान नागरिक संहिता लागू होगी। यानी हर नागरिक के लिए एक समान कानून होगा। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने समान नागरिक संहिता लागू करने के लिए वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव के दौरान घोषणा की थी। उन्होंने सरकार बनने पर इसे प्राथमिकता से लागू करने की बात कही थी। विधानसभा चुनाव में जीत दर्ज करने के बाद सत्ता संभालते ही मुख्यमंत्री धामी ने 27 मई, 2022 को समान नागरिक संहिता का ड्राफ्ट तैयार करने के लिए जस्टिस रंजना प्रकाश देसाई (सेनि) की अध्यक्षता में विशेषज्ञ समिति का गठन किया, जिसमें चार सदस्य शामिल किए गए। बाद में इसमें सदस्य सचिव को भी शामिल किया गया। इसके बाद समिति ने ड्राफ्ट बनाने के लिए बैठकों का दौर शुरू किया।

इस कड़ी में समिति ने प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों में आमजन के साथ ही जनजातीय समुदाय के साथ बैठकें की। इन बैठकों में मिले सुझाव और देश-विदेश में समान नागरिक संहिता को लेकर बने कानूनों का गहन अध्ययन किया गया। रिपोर्ट को अंतिम रूप देने से पहले विधि विशेषज्ञों से भी राय ली गई। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी स्वयं अपने दिल्ली दौरे के दौरान समिति के सदस्यों से इसका अपडेट लेते रहे। समान नागरिक संहिता के ड्राफ्ट की प्रगति को लेकर वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह को भी अवगत कराते रहे। समिति ने शुक्रवार दो फरवरी को इसका ड्राफ्ट मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को सौंपा। शनिवार को कैबिनेट की बैठक में ड्राफ्ट को मंजूरी दी गई। मंगलवार छह फरवरी को इसे सदन में विधेयक के रूप में पेश किया गया। विशेषज्ञ समिति के लगभग 20 माह के कार्यकाल में 80 से अधिक बैठकें हुईं और समिति को लगभग 2.33 लाख सुझाव मिले। समिति ने समान नागरिक संहिता पर सुझाव लेने के लिए प्रदेश के दूरस्थ क्षेत्रों में भी बैठक की। समिति ने प्रदेश के सभी धर्मों, समुदाय व जनजातियों के प्रतिनिधियों से मुलाकात की और नागरिक संहिता के संबंध में उनके सुझाव व शंकाओं को सुना। समिति ने सभी राजनीतिक दलों के साथ भी बैठक कर संहिता के संबंध में उनका पक्ष जाना। नई दिल्ली में भी प्रवासी उत्तराखंडियों के साथ इस विषय पर संवाद किया और मिले सुझावों को समिति ने ड्राफ्ट में शामिल किया है। समान नागरिक संहिता का ड्राफ्ट तैयार करने के लिए प्रदेश सरकार ने 22 मई को विशेषज्ञ समिति का गठन किया था। इस समिति का कार्यकाल छह माह रखा गया। कार्य की अधिकता को देखते हुए सरकार ने चार बार इसका कार्यकाल बढ़ाया। पहली बार कार्यकाल 28 नवंबर 2022 को छह माह के लिए बढ़ाया गया। इसके बाद नौ मई 2023 को कार्यकाल चार माह के लिए बढ़ाया गया। इसके बाद 22 सितंबर को कार्यकाल फिर से चार माह के लिए बढ़ाया गया। चौथा कार्यकाल गत 25 जनवरी को 15 दिन के लिए बढ़ाया गया। अब समिति का कार्यकाल 11 फरवरी को समाप्त हो रहा है।


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