उत्तराखंड में लोकसभा चुनाव से पहले लोकायुक्त नियुक्त कर मास्टरस्ट्रोक चल सकती है धामी सरकार

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उत्तराखंड में भ्रष्टाचार से लड़ाई के लिए सशक्त हथियार लोकायुक्त की नियुक्ति प्रक्रिया सरकार ने शुरू कर दी है। लोकायुक्त चयन के लिए बनी कमेटी के लिए हाई कोर्ट ने वरिष्ठ न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी को नामित करते हुए सरकार को जानकारी दी है।

अब तक सर्च कमेटी के चार नाम तय हो चुके हैं, यह चार नाम पांचवां कमेटी सदस्य प्रख्यात न्यायविद का चयन करेंगे, उसके बाद लोकायुक्त तथा चार सदस्यों की नियुक्ति प्रक्रिया होगी। माना जा रहा है कि लोक सभा चुनाव से पहले धामी सरकार लोकायुक्त की नियुक्ति कर मास्टर स्ट्रोक चल सकती है। लोकायुक्त की नियुक्ति को लेकर हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता में पीआइएल पर सुनवाई हुई तो सरकार की ओर से नियुक्ति के लिए छह माह का समय मांगा गया लेकिन कोर्ट ने अंतिम बार तीन माह का समय दिया है। हाई कोर्ट में सरकार की ओर से बताया गया कि लोकायुक्त चयन के लिए सर्च कमेटी का गठन किया जा चुका है। जिसमें हाई कोर्ट से वरिष्ठ न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी को नामित कर सरकार को जानकारी दी गई है। इसके अलावा सर्च कमेटी में मुख्यमंत्री, नेता प्रतिपक्ष, विधानसभा अध्यक्ष सदस्य होंगे। यह चार सदस्यों की ओर से कमेटी में एक प्रख्यात न्यायविद सदस्य का चयन किया जाएगा। इस चयन प्रक्रिया के बाद लोकायुक्त के चयन की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। सरकार की ओर से हाई कोर्ट में पेश उप महाधिवक्ता सुनील खेड़ा ने राज्य सरकार की मंशा कोर्ट को बताते हुए कहा कि राज्य सरकार ने लोकायुक्त के चयन के लिए सर्च कमेटी का गठन कर दिया है। धामी सरकार के हाई कोर्ट में रुख से साफ है कि 2024 में उत्तराखंड को लोकायुक्त मिल जाएगा। जाहिर है सरकार 2024 के आम चुनाव की रणभेरी बजने से पहले लोकायुक्त की नियुक्ति कर विपक्ष के इस मुद्दे को लेकर सियासी वार को कुंद कर देगी। राज्य में 2002 में पहली निर्वाचित सरकार बनने के साथ ही लोकायुक्त का गठन हो गया था। पांच साल तक 2008 तक राज्य के पहले लोकायुक्त की जिम्मेदारी जस्टिस एचएसए रजा ने संभाली. उनके रिटायरमेंट के बाद जस्टिस एमएम घिल्डियाल राज्य के दूसरे लोकायुक्त बनेद्ध उनका कार्यकाल वर्ष 2013 तक रहा। 2013 में भाजपा सरकार के दौरान तत्कालीन सीएम मेजर जनरल भुवनचंद्र खंडूरी ने जब दोबारा सीएम की कुर्सी संभाली तो उन्होंने स्टेट में पावरफुल लोकायुक्त की एक्सरसाइज की. राष्ट्रपति से भी इसे मंजूरी मिल गई थी लेकिन इसी बीची खंडूड़ी चुनाव हार गए और चुनाव के बाद कांग्रेस सत्ता में आई. कांग्रेस की बहुगुणा सरकार और फिर हरीश रावत सरकार ने कुछ संशोधन के साथ इसे आगे बढ़ाने का प्रयास किया, लेकिन प्रक्रिया मुकाम तक नहीं पहुंच पाई. लोकायुक्त को लेकर कई बार राजभवन से भी फाइल लौटाई गई। पिछले करीब सात साल से नए लोकायुक्त की नियुक्ति नहीं हुई है। 2017 में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के कार्यकाल में चुनावी घोषणापत्र में सत्ता में आने के 100 दिन के भीतर लोकायुक्त नियुक्त कर दिया जाएगा लेकिन सरकार ने तय अवधि में इसे विधानसभा में पेश भी किया। विपक्ष ने भी इसको अपना समर्थन दिया, लेकिन इसे प्रवर समिति को भेज दिया। प्रवर समिति भी लोकायुक्त पर अपनी रिपोर्ट सौंप चुकी है।


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