हल्द्वानी हिंसा: में बदले हालात! कानून का राज फिर से कायम

Spread the love

हल्द्वानी में बदले हालात साफ नजर आ रहे थे। पहले पथराव और आगजनी की हद तक बढ़े उपद्रवी अब भविष्य में पुलिस की तरफ नजरें उठाने से पहले भी सौ बार सोचेंगे क्योंकि सीएम धामी के निर्देश पर इन्हें इनकी ही भाषा में समझाया गया है । ये सख्त कार्रवाई अब भी जारी है ।

दिन आठ फरवरी। जगह मलिक का बगीचा। चारों तरफ से पत्थरबाजी। पुलिस-निगमकर्मी संग मीडियाकर्मियों पर भी भारी पथराव। हल्का अंधेरा होते ही उपद्रवियों ने बनभूलपुरा थाने के बाहर पेट्रोल बम बरसाकर आगजनी कर दी। सबसे खतरनाक स्थिति मलिक के बगीचे से लौटने के दौरान हुई। इंसानी गलियां पत्थरबाजों का गढ़ बन चुकी थीं। बाहर निकलने के हर मोड़ पर आगजनी का मंजर था। ऐसा कभी कश्मीर में देखने को मिलता था, मगर अब हालात पूरी तरह बदल चुके हैं। पूरे इलाके में कानून का राज फिर से कायम हो चुका है। गुरुवार को प्रशासन संग पत्रकारों की टीम भी यहां पहुंची थी। बदले हालात साफ नजर आ रहे थे। पहले पथराव और आगजनी की हद तक बढ़े उपद्रवी अब भविष्य में पुलिस की तरफ नजरें उठाने से पहले भी सौ बार सोचेंगे, क्योंकि सीएम धामी के निर्देश पर इन्हें इनकी ही भाषा में समझाया गया है। ये सख्त कार्रवाई अब भी जारी है। आठ फरवरी को पुलिस-प्रशासन और नगर निगम की टीम मलिक के बगीचे में सरकारी भूमि पर बने अवैध मदरसे और नमाजस्थल को तोड़ने के लिए पहुंची थी लेकिन रणनीति के तहत उपद्रवियों ने पहले महिलाओं को रास्ते पर खड़ा कर दिया। पुलिस के उठाने पर सभी नमाजस्थल को घेरने में जुट गईं, ताकि बुलडोजर आगे न बढ़े।

इसके बाद भी महिला पुलिसकर्मियों ने इन्हें हटा दिया। इसके बाद से पथराव का सिलसिला शुरू हो गया। नजरें ऊपर उठाते ही हर दिशा से पत्थर बरस रहे थे। पुलिस और निगमकर्मी किसी तरह अतिक्रमण हटाने में डटे रहे। खाकी का मनोबल बढ़ाने के लिए एसएसपी ने खुद मोर्चा संभाल रखा था। इस बीच उपद्रवियों की भारी भीड़ ने थाने में आगजनी कर दी। जगह-जगह पुलिस, निगम और मीडियाकर्मियों के वाहनों को भी फूंका गया। अंधेरे के बीच टीम जब बाहर निकलने लगी तो उपद्रवियों ने हमले की रफ्तार और तेज कर दी। इसके बाद रात में ही डीएम ने कर्फ्यू के आदेश जारी कर दिए थे। वहीं, गुरुवार दोपहर प्रशासन संग पत्रकारों की टीम बनभूलपुरा थाने, लाइन नंबर 17, जीजीआइसी बनभूलपुरा, गोपाल मंदिर, मलिक के बगीचे के बाहरी हिस्से के बाद इंदिरानगर क्षेत्र की तरफ पहुंची।

हर जगह पुलिस और अर्धसैनिक बलों के जवान पूरी मुस्तैदी संग डटे हुए थे। मलिक के बगीचे से जुड़ी गलियों में अब सन्नाटा पसरा हुआ था। इस दौरान प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र की बाउंड्री से जब मलिक के बगीचे से सटी स्वास्थ्य विभाग की खाली पड़ी जमीन देखी तो वहां जवान चहलकदमी करते दिखे, जबकि आठ फरवरी इसके दो एकड़ जमीन के चारों तरफ डटे पत्थरबाज उपद्रव की सारी हदों को पार करते नजर आ रहे थे, मगर अब किसी की यहां खड़े होने की हिम्मत भी नहीं है। बनभूलपुरा दौरे के दौरान स्थानीय लोगों ने बताया कि कर्फ्यू में उन्हें पुलिस से कोई दिक्कत नहीं है। प्रशासन पर पूरा विश्वास है। वह हमारी मदद में जुटा है। दोषियों के विरुद्ध कड़ी से कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए। इंदिरानगर की तरफ बढ़ने पर बीच में दुर्गा माता का मंदिर पढ़ता है, जिसके आसपास हिंदू समाज के लोग रहते हैं। आठ फरवरी को हुए बवाल के दौरान पुलिस ने तुरंत इस तरफ मोर्चा संभाल लिया था। मूल रूप से रामनगर निवासी त्रिभुवन गुणवंत छह वर्ष से यहां पुजारी की भूमिका निभा रहे हैं। उन्होंने बताया कि पुलिस और प्रशासन पूरी तरह मददगार है। इसलिए दिक्कत और डर की कोई बात नहीं। मंदिर से थोड़ा पहले साहू धर्मशाला है। यहां बने कमरों में कई लोग रहते हैं। यहीं रहने वाली माही साहू ने बताया कि वह एक ब्यूटी पार्लर में काम करती है। कर्फ्यू की वजह से ड्यूटी पर नहीं जा पा रही।


Spread the love