नैनीताल हाईकोर्ट ने हल्द्वानी के बनभूलपुरा में हुई हिंसा के मामले में 50 आरोपियों को दी जमानत

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उत्तराखंड के हल्द्वानी में बहुचर्चित वनभूलपुरा में अवैध मदरसे और मलिक का बगीचा की भूमि से अतिक्रमण हटाने के दौरान हुए उपद्रव्य की घटना में शामिल कई आरोपियों को हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिल गई है। नैनीताल हाईकोर्ट ने हल्द्वानी के बनभूलपुरा में हुई हिंसा के मामले में 50 आरोपियों को जमानत दे दी है, जिनमें 6 महिलाएं भी शामिल हैं। कोर्ट ने शनिवार को हुई सुनवाई के दौरान फैसला सुरक्षित रख लिया था। नैनीताल हाईकोर्ट ने हल्द्वानी हिंसा मामले के 50 आरोपियों की डिफॉल्ट जमानत प्रार्थनापत्र पर सुनवाई की। सुनवाई के बाद उन्हें डिफॉल्ट जमानत दे दी गई है। बीते शनिवार को वरिष्ठ न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी व न्यायमूर्ति पंकज पुरोहित की खंडपीठ ने सुनवाई के बाद निर्णय सुरक्षित रख लिया था। निर्णय में कोर्ट ने निचली अदालत के उस आदेश को निरस्त कर दिया, जिसमें पुलिस द्वारा 90 दिन बीत जाने के बाद भी आरोप पत्र पेश नहीं किया गया और आरोप पत्र पेश करने के लिए और समय दिया गया। हिंसा के आरोपी मुजम्मिल सहित 49 अन्य आरोपियों ने उच्च न्यायलय में डिफॉल्ट जमानत प्रार्थनापत्र पेश कर कहा था कि पुलिस ने उनके खिलाफ 90 दिन के अंदर आरोप पत्र दाखिल नहीं किया है और ना ही रिमांड बढ़ाने के लिये कोई स्पष्ट कारण बताया। कोर्ट ने उनकी रिमांड बढ़ा दी और उनकी डिफॉल्ट बेल खारिज कर दी। दूसरी ओर सरकारी पक्ष की ओर से कहा गया कि पुलिस के पास पर्याप्त आधार और कारण हैं। साथ ही अदालत के पास रिमांड बढ़ाने का अधिकार है। नियमानुसार ही आरोपियों की रिमांड बढ़ाई गई है। सुनवाई पर आरोपियों की ओर से कहा गया कि जो समय बढ़ाया गया है यह संविधान के अनुच्छेद 21 का उल्लंघन है। पुलिस बिना किसी कारण के चाहे उनके ऊपर कितने बड़े आरोप क्यों ना लगाए, उन्हें जेल में बंद नहीं रख सकती। अभी तक आरोपपत्र पेश नहीं हुआ, इसलिए उनका अधिकार है कि उनको जमानत पर रिहा किया जाए।

बता दें कि, इसी साल आठ फरवरी को हल्द्वानी के बनभूलपुरा इलाके में अतिक्रमण हटाने के दौरान प्रशासन और पुलिस की टीम पर पथराव, आगजनी और गोलीबारी का हमला हुआ था। हिंसा के दौरान उपद्रवियों ने गाड़ियों और थाने को आग के हवाले कर दिया गया था, जिससे कई लोगों की जान गई और 100 से अधिक पुलिसकर्मी घायल हुए थे। 8 फरवरी को हलद्वानी के बनभूलपुरा क्षेत्र में एक अवैध रूप से निर्मित मदरसे के विध्वंस पर हिंसा भड़क गई, जिसमें स्थानीय लोगों ने नगर निगम कर्मचारियों और पुलिस पर पत्थर और पेट्रोल बम फेंके। इससे कई पुलिस कर्मियों को पुलिस स्टेशन में शरण लेने के लिए मजबूर होना पड़ा, जिसके बाद भीड़ भड़क गई। इस हिंसा में छह दंगाई मारे गए।


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