ब्लड प्रेशर हाइपरटेंशन की बीमारी एडल्ट्स में होती है। अभी तक यह माना जाता रहा है,लेकिन सोसायटी में बढ़ते स्ट्रेस लेवल की वजह से ब्लड प्रेशर अब पैतीस-चालीस साल की उम्र से घटकर बीस से पच्चीस साल की उम्र में भी होने लगा है। जिसके चलते युवाओं में बीपी से जुड़ी हुई बीमारियां बढ़ने का खतरा बढ़ रहा है।
सर्दी में ब्लड प्रेशर बढ़ना एक सामान्य प्रॉबलम है। इसे अवॉइड नहीं करें। यह हाइपरटेंशन की पहली स्टेज है। सर्दी में लोगों का ब्लड प्रेशर ऊपर-नीचे होते रहता है। क्योंकि ब्लड सप्लाई के लिए हार्ट पर ज्यादा दबाव पड़ता है। आर्टरीज और हार्ट पर ज्यादा दबाव पड़ने के कारण ब्लड प्रेशर हाई हो जाता है। हार्ट रेट बढ़ने, हार्मोनल बदलाव, एनवाॅयरमेंटल बदलाव, डाइटरी हैबिट, नमक ज्यादा खाने और बहुत ज्यादा इमोशनल होने से भी ब्लड प्रेशर बढ़ता है।
ज्यादा गुस्सा करने पर ब्रेन में एंड्रीनल हॉर्मोन बढ़ता है। यह हॉर्मोन बढ़ने से गुस्सा तेज होता है। ब्लड प्रेशर हाई हो जाता है। वहीं, इस हॉर्मान का सीक्रेशन कम होने पर ब्लड प्रेशर भी लो रहता है। एक िमनट में यह घटता और बढ़ता रहता है। बीपी की वजह से हार्ट फेल्योर, हार्ट अटैक और ब्रेन स्ट्रोक हो सकता है। रक्त द्वारा धमनियों पर डाले गए दबाव को ब्लड प्रेशर या रक्तचाप कहते हैं। रक्त दाब की मात्रा हृदय की शक्ति व रक्तसंचार प्रणाली में रक्त की मात्रा और धमनियों की हालत पर निर्भर रहती है। रक्तचाप दो प्रकार का होता है- अधिकतम और न्यूनतम।
हाई ब्लड प्रेशर उच्च रक्तचाप को खामोश हत्यारा कहा जाता है क्योंकि व्यक्ति को इस बात का पता ही नहीं चलता है कि उसे उच्च रक्तचाप की शिकायत है और जब कोई हादसा हो जाता है, तब मालूम पड़ता है कि इसकी वजह रक्तचाप का बढ़ना था। लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी होती है। उच्च रक्तचाप का रोग किसी भी व्यक्ति को किसी भी उम्र में हो सकता है।
विकास पाठक
संपादक