पिथौरागढ़ की पहाड़ी पर स्थित है एक चमत्कारी मंदिर! श्री राम की मां ने किया था निवास

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पिथौरागढ़ नगर के पश्चिमी छोर पर हुड़ेती और गणकोट की चोटी पर मां कौशल्या देवी का मंदिर है। इस मंदिर के कौशल्या मंदिर नाम को लेकर अलग-अलग मान्यताएं हैं। कौशल्या देवी को चमत्कारी देवी माना जाता है। यहां पर लोगों की मनोकामना पूरी होती है। यूं तो कौशल्या देवी हुड़ेती के उप्रेती उपजाति के लोगों की कुलदेवी मानी जाती है। जो साल भर विभिन्न पर्वों पर धार्मिक अनुष्ठान करते रहते हैं। इसके अलावा इस मंदिर की विशेषता के चलते यहां भारी संख्या में भक्त पहुंचते हैं। इस मंदिर में पशु बलि निषेध है।

मंदिर के विषय में कहा जाता है कि अयोध्या के कौशल्य ऋषि जो राजा भी थे। वह मन की शांति के लिए हिमालय आए थे। लंबी यात्रा के बाद सोर पहुंचे। जहां पर गुफा में शरण ली। रात्रिकाल में स्वप्न में देवी ने अपने को भी गुफा में होना बताया। दूसरी सुबह कौशल्य ने जब गुफा के अंदर की तरफ देखा तो एक पत्थर में मां की आकृति दिखाई दी। इस स्थान पर उन्होंने पूजा-अर्चना शुरू कर दी। वहीं यह भी माना जाता है कि भगवान राम की माता कौशल्या कैलास मानसरोवर यात्रा के दौरान इस गुफा में रही थी। इधर इस वर्ष नवरात्र पर मंदिर में श्रीमद्भागवत का आयोजन किया जा रहा है। मंदिर आम पर्वतीय शैली का है। जिसमें कोई विशेष वास्तुकला नजर नहीं आती है। मंदिर में एक दिव्य करीब 30 मीटर लंबी गुफा है। जिसमें कौशल्या देवी मां भगवती के रूप में विराजमान है। मंदिर की स्थापना के समय बने मंदिर को ही बाद की पीढ़ियों ने स्थानीय वास्तु के अनुसार बनाया है। मां के दरबार में प्याज-लहसुन खाकर आना वर्जित है। चैत्र व शारदीय नवरात्र में यहां प्रतिदिन पूजा होती है। नवमी को विशेष पूजा-अर्चना के साथ भंडारे का प्रचलन रहा है। मां के दरबार में धूप, दीप जलाने मात्र से ही मनोकामना पूर्ण हो जाती है। कौशल्या मंदिर तक टनकपुर और हल्द्वानी से बस, टैक्सी आदि से पिथौरागढ़ पहुंचा जाता है। पिथौरागढ़ नगर में भी जीआइसी-सुकोली मार्ग में 3 किमी वाहन से चलकर 400 मीटर की खड़ी चढ़ाई चढ़कर मंदिर में पहुंचा जाता है।


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