पोप एमेरिटस बेनेडिक्ट 16वें का निधन, धर्मनिरपेक्ष यूरोप में ईसाई धर्म के पुनर्जागरण की करते थे कोशिश

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वेटिकन सिटी: धर्मनिरपेक्ष यूरोप में ईसाई धर्म के पुनर्जागरण की कोशिश करने वाले पोप एमेरिटस बेनेडिक्ट 16वें का शनिवार को निधन हो गया. वह 95 वर्ष के थे. उन्होंने शनिवार को सुबह 9:34 बजे अंतिम सांस ली. जर्मनी से ताल्लुक रखने वाले बेनेडिक्ट एक ऐसे धर्मगुरु के रूप में याद रखे जाएंगे, जो पोप के पद से इस्तीफा देने वाले 600 वर्षों में प्रथम ईसाई धर्मगुरु थे.

बेनेडिक्ट ने 11 फरवरी 2013 को विश्व को उस वक्त स्तब्ध कर दिया था, जब उन्होंने यह घोषणा की कि वह 1.2 अरब अनुयायियों वाले कैथोलिक चर्च का अब नेतृत्व करने में सक्षम नहीं हैं. वह आठ वर्षों तक इस पद रहे और इस दौरान कई विवादों का सामना करना पड़ा. उनके इस्तीफे ने इस शीर्ष पद के लिए पोप फ्रांसिस के चुने जाने का मार्ग प्रशस्त किया.

वेटिकन प्रवक्ता ने जारी किया बयान
वेटिकन प्रवक्ता मैत्तियो ब्रुनी ने शनिवार सुबह जारी एक बयान में कहा , ‘‘बड़े दुख के साथ सूचित करना पड़ रहा है कि पोप एमेरिटस बेनेडिक्ट 16वें का वेटिकन में आज निधन हो गया. यथाशीघ्र और सूचना उपलब्ध कराई जाएगी.’’ गौरतलब है कि पोप एमेरिटस का जन्म-नाम जोसेफ रेटजिंगर था. पद से इस्तीफा देने के बाद से वह वेटिकन परिसर में स्थित मठ में रह रहे थे. उनकी तबीयत लंबे समय से खराब चल रही थी. वेटिकन ने 28 दिसंबर को पोप के स्वास्थ्य की जानकारी दी और कहा कि उनकी हालत और खराब हो रही है.

पोप फ्रांसिस ने पूरे विश्व के कैथलिकों से की थी प्रार्थना की अपील
उस वक्त पोप फ्रांसिस ने पूरे विश्व के कैथलिकों को पोप एमेरिटस के लिए प्रार्थना करने के लिए कहा था. बता दें, पोप एमेरिटस के निधन से वेटिकन में पहली बार पैदा हुई अजीबो-गरीबी परिस्थिति का अंत हो गया. उनके रहते पहली बार ऐसा हुआ था कि वेटिकन में दो पोप एक साथ रहते हों. बताया जा रहा है कि उनका अंतिम संस्कार वेटिकन में ही होगा. उस दौरान पोप फ्रांसिस भी मौजूद रहेंगे.


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